बैंक खाता नम्बर न होने से स्टाफ नर्स ने नहीं करायी डिलवरी

हुबलाल यादव
जौनपुर। जहां सरकार लाखों उपाय करके प्रसव पीड़ित महिला को सरकारी अस्पताल में प्रसव कर जच्चा-बच्चा सुरक्षित रखने के लिये करोड़ो रूपये खर्च कर रही है, वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र महाराजगंज की लापरवाही चरम पर है। महराजगंज केन्द्र पर कर्मचारी से लेकर चिकित्सक तक निरंकुश हो चुके हैं। यहां आये दिन हो हल्ला, फसाद सहित तमाम शिकायती पत्र पड़ते रहते हैं, फिर भी चिकित्सक से लेकर कर्मचारी, चपरासी, स्टाफ नर्स, एएनएम, आशा आदि निरंकुश हैं ऐसा ही एक उदाहरण हाल ही में प्रकाश में आया है। क्षेत्र के मनकापुर की एक महिला का प्रसव इसलिये नहीं हो सका, क्योंकि उसके पास खाता नम्बर नहीं था। एकाउण्ट न होने से 10 बजे रात प्रसव पीड़ित महिला को भगा दिया गया। लाचार महिला रोती-कराहती वापस अपने घर जा रही थी कि रास्ते में एक प्राइवेट झोला छाप महिला चिकित्सक के यहां प्रसव कराने को मजबूर हो गयी। दूसरे मामले में एक आशा ने बताया कि वह एक महिला को अस्पताल पर प्रसव हेतु लायी थी। स्टाफ नर्स ने हाथ में दस्ताना के बजाय प्लास्टिक की पन्नी लगाकर प्रसव करायी थी। महराजगंज अस्पताल की लापरवाही चरम पर है। डिलवरी हेतु एम्बुलेंस से बीते 19 अक्टूबर आयी महिला राजकुमारी पत्नी धर्मेन्द्र गौतम निवासी मनिकापुर व उनकी सास सुदामा देवी का आरोप है कि महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती, रोती, चिल्लाती रही लेकिन अस्पताल की स्टाफ नर्स व उनकी सहयोगी नर्स, एएनएम आदि सब खड़ी ताकती रही। करीब 3 घण्टे बाद रात्रि 10 बजे उसे अस्पताल से डांटकर इसलिये भगा दिया गया कि महिला का बैंक एकाउण्ट नम्बर नहीं था। महिला की सास सुदामा देवी का कहना है कि वह गिड़गिड़ाती रही कि उसकी बहू की जान खतरे में है। बच्चा अस्पताल में ही पैदा करवा दें, बल्कि लिखित ले लें कि उसे सरकार की तरफ से मिलने वाला 1400 रूपया नहीं चाहिये लेकिन एक न सुनी गयी। ऐसे में वह निराश होकर प्राइवेट झोला छाप महिला के पास हजारों रूपये खर्च करने को मजबूर रही। महिला ने लिखित शिकायत सम्बन्धित विभाग से भी किया है। मनिकापुर की आशा का कहना है कि प्रसव पीड़ित महिला को परेशान किया जाता है। प्रसव के लिये बाहर दवा मंगवायी जाती है। वहीं कई आशा ने बताया कि उनसे दबाव बनाकर प्रसव पीड़ित महिला व परिजनों से 500 रूपये से अधिक की धनउगाही की जाती है। एक आशा ने बताया कि मनमानी का आलम यहां तक है कि उसके क्षेत्र की एक डिलवरी के साथ स्टाफ नर्स का ऐसा बर्ताव रहा कि बच्चा पैदा होते समय नर्स ने दस्ताना लगाने के बजाय हाथ में फटी पुरानी प्लास्टिक की पन्नी लपेटकर डिलवरी करायी। विरोध जताने पर आशा को डांट भी खानी पड़ी। इस बाबत पूछे जाने पर चिकित्सा अधीक्षक डा. यूके सन्याल का कहना है कि इस बिषय में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यदि ऐसी शिकायत है तो जांच करायी जायेगी। आशाओं को बार-बार बैठक में निर्देश दिया जा चुका है कि वे अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं का बैकों में खाता खोलवा दें। जिनके क्षेत्र के खाते नहीं खुले हैं, उन आशा के खिलाफ कार्यवाही होगी। वहीं आशाओं का कहना है कि बैंक वाले  आधार कार्ड जैसे तमाम अड़चनें लगाकर कोरम पूरा किये बगैर खाता खोलने को तैयार नहीं हैं जिसकी जानकारी बीसीपीएम व अस्पताल अधीक्षक को कई बार दी जा चुकी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग बैकों से खाता खोलवाने की लिखा-पढ़ी के बजाय उल्टा आशा महिलाओं पर ही फटकार लगाता है। इतना ही नहीं, कार्य में लापरवाही का आरोप लगाकर बाहर निकालने की धमकी भी दिया जाता है।

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