लगातार प्रगति के पथ पर चल रहा है जनक कुमारी इण्टर कालेज, भागीरथी बने डा0 जंगबहादुर सिंह
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जौनपुर। नगर का जनक कुमारी इण्टर कालेज लगातार प्रगति के पथ पर है। स्कूल का भव्य भवन और छात्र-छात्राओ की संख्या हर कोई तारीफ करने से चुक नही रहा है। टीडी कालेज जैसे बरगद के नीचे खुब फल फूल रहा है। पुनः अपने अस्तित्व में लौटा यह विद्यालय एक बार फिर से कांवेन्ट स्कूलो को मात दे रहा है। पढ़ाई की गुणवक्ता के चलते इस शिक्षा के मंदिर में 17 सौ छात्र-छात्राएं तालिम ले रही है। इस विद्यालय का अनुशासन ऐसा है कि विगडैल छात्र भी पूरी शांति के साथ पढ़ाई करते है।
जनक कुमार इण्टर कालेज की स्थापना सन् 1953 में हुसेनाबाद मोहल्ले में हुआ था। शुरूआती दौर में यह विद्यालय केवल पांचवी तक कक्षा चलती थी। उस वख्त इस विद्यालय का नाम बाल शिक्षा निकेतन रखा गया था। गुणवक्ता युक्त शिक्षा देने के मामले इसकी बहुत अच्छी साख थी। इस स्कूल में जिले के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और बड़े घराने के बच्चे पढ़ते थे। संस्थापक जनक कुमार वर्मा के निधन के बाद इस विद्यालय का नाम जनक कुमार बाल शिक्षा निकेतन कर दिया गया। समय गुजरने के साथ धीरे धीरे जिले में इशाई मशीनरियों के स्कूल नगर में स्थापित होने के चलते इस स्कूल से अधिकारियों, नेताओ और बड़े घराने के लोगो मोहभंग हो गया। जिसका परिणाम रहा कि यह विद्यालय केवल सरकारी स्कूलो की तरह हो गया। 27 अगस्त 2012 में इस स्कूल ने प्रधानाचार्य डा0 जंगबहादुर सिंह बने। जब उन्होने इस विद्यालय की कमान सम्भाली थी उस समय यह विद्यालय हाईस्कूल तक था छात्रो की संख्या मात्र छह सौ थी। पठन पाठन के लिए कक्षाएं कम थी यहां तक प्रिंसपल कक्ष और कार्यालय बहुत की छोटा था। जंगबहादुर सिंह ने इस विद्यालय को प्रगति पर लाने को ठान लिया। श्री सिंह के भागीरथी प्रयास के चलते जनप्रतिनिधियों और पुरातन छात्रो के सहयोग से अब तक 13 कमरे, एक बड़ा हाल, विशाल गेट, खुबसूरत बाउण्ड्रीवाल और बैटमिंटन कोड का निर्माण कराया। इसी साथ ही आर्ट और विज्ञान वर्ग की पढ़ाई के लिए इण्टर तक की मान्यता ले लिया। लगातार प्रगति होने से विद्यालय परिवार, शिक्षा जगत और आसपास के लोग काफी खुश है। इतना ही नही जंगबहादुर सिंह ने कालेज परिसर में स्थित सती माई के मंदिर और संस्थापक जनक कुमार वर्मा की प्रतिमा को और भव्य बना दिया।
सभी फोटो - अजीत बादल
जनक कुमार इण्टर कालेज की स्थापना सन् 1953 में हुसेनाबाद मोहल्ले में हुआ था। शुरूआती दौर में यह विद्यालय केवल पांचवी तक कक्षा चलती थी। उस वख्त इस विद्यालय का नाम बाल शिक्षा निकेतन रखा गया था। गुणवक्ता युक्त शिक्षा देने के मामले इसकी बहुत अच्छी साख थी। इस स्कूल में जिले के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और बड़े घराने के बच्चे पढ़ते थे। संस्थापक जनक कुमार वर्मा के निधन के बाद इस विद्यालय का नाम जनक कुमार बाल शिक्षा निकेतन कर दिया गया। समय गुजरने के साथ धीरे धीरे जिले में इशाई मशीनरियों के स्कूल नगर में स्थापित होने के चलते इस स्कूल से अधिकारियों, नेताओ और बड़े घराने के लोगो मोहभंग हो गया। जिसका परिणाम रहा कि यह विद्यालय केवल सरकारी स्कूलो की तरह हो गया। 27 अगस्त 2012 में इस स्कूल ने प्रधानाचार्य डा0 जंगबहादुर सिंह बने। जब उन्होने इस विद्यालय की कमान सम्भाली थी उस समय यह विद्यालय हाईस्कूल तक था छात्रो की संख्या मात्र छह सौ थी। पठन पाठन के लिए कक्षाएं कम थी यहां तक प्रिंसपल कक्ष और कार्यालय बहुत की छोटा था। जंगबहादुर सिंह ने इस विद्यालय को प्रगति पर लाने को ठान लिया। श्री सिंह के भागीरथी प्रयास के चलते जनप्रतिनिधियों और पुरातन छात्रो के सहयोग से अब तक 13 कमरे, एक बड़ा हाल, विशाल गेट, खुबसूरत बाउण्ड्रीवाल और बैटमिंटन कोड का निर्माण कराया। इसी साथ ही आर्ट और विज्ञान वर्ग की पढ़ाई के लिए इण्टर तक की मान्यता ले लिया। लगातार प्रगति होने से विद्यालय परिवार, शिक्षा जगत और आसपास के लोग काफी खुश है। इतना ही नही जंगबहादुर सिंह ने कालेज परिसर में स्थित सती माई के मंदिर और संस्थापक जनक कुमार वर्मा की प्रतिमा को और भव्य बना दिया।
सभी फोटो - अजीत बादल