करूणा की प्रतिमूर्ति थी माता सविन्दर हरदेव

जौनपुर ।   सद्गुरू माता सविन्दर हरदेव विलक्षण प्रतिभा से युक्त थी । वे दया करूणा और परोपकार की मूर्ति थी । वे अदम्य उत्साह और ऊर्जा से भरी हुई थी ।   उनकी कर्तत्य निष्ठा इसी बात से स्पष्ट होती है कि उनके जीवन के 61 वर्षो का हर एक पल हर एक दिन कल्याण कारी और हीरे -मोती जैसे कीमती थे । उक्त उदगार मडियाहू पडाव स्थित  निरंकारी भवन के प्रांगण में सद्गुरू माता सविन्दर हरदेव  की पावन स्मृति में उपस्थित श्रद्धालुओं  को सम्बोधित करते हुए  वषिष्ठ नारायण पाण्डेंय ने व्यक्त किया । उन्होने  कहा कि   माता सविन्दर  का जन्म 12 जनवरी 1957 को हुआ  और 17 मई 2016 को सद्गुरू रूप में प्रकट हुई ।   2 वर्ष से अधिक समय तक मिषन का सत्य संदेष देने में अपना सर्वस्य लगा दिया। 14 नवम्बर 1975 को 28 वें वार्षिक सन्त समागम के अवसर पर वे अत्यन्त सादगी और विनम्रता से सद्गुरूबाबा हरदेव सिंह की जीवन संगिनी बनी थी । 36 वर्ष वे मौन रहकर बाबा हरदेव सिंह   के जन कल्याण कारी कार्यो की सक्रीय सहभागी बनी ।   अपने जीवन्त प्रवचनों से सम्पूर्ण मानवता को प्रेरणा देती रही कि दया ही धर्म का मूल है। दया न रही तो इन्सान और इन्सानियत भी नही रहेगी: दया भाव के कारण ही कोई किसी के गुनाह बख्ष पाता है । उन्होने न  केवल भारत के विभिन्न राज्यों की   यात्राए  की बल्कि दूर -देष में भी सत्य संदेष का प्रवाह जारी रखा । 17 मई 2016 से जुलाई 2018 तक  मिषन की रहनुमाई करते हुए मानव समाज को शान्ति  सद्भाव प्रेम स्नेह करूणा का संदेष दिया और सुन्दर समाज की स्थापना का सपना संजोया और 5 अगस्त 2018 को न ष्षरीर का त्याग कर निरंकार मे लीन हो गई। मुख्य  ष्यामलाल साहू , राजेष , कंचन ,गीता  आषा षोभावती , राधेश्ष्याम , हीरालाल , रामपलट ष्ष्याम नारायण  इत्यादि लोग उपस्थित रहे। संचालन उदयनारायण जायसवाल  ने किया ।

Related

news 5746848948312764105

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item