इमाम हुसैन की कर्बला में शहादत की मिसाल नहीं
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जौनपुर । शिराजे हिंद की गंगा जमुनी तहजीब को अपने दामन में समेटे हिंदू-मुस्लिम एकता की प्रतीक अंजुमन जाफरीया के तत्वाधान में कदीम तरही शब्बेदारी नगर के कल्लू मरहूम के इमामबाड़े में संपन्न हुई। इसमें देश-विदेश से आए सोगवारों ने लगातार मातम कर आंसुओं का नजराना इमाम हुसैन को पेश कर रोते रहे। प्रयागराज से आई अंजुमन मोहफीजे अजा ने नौहा ए बादे सबा जाके तू अम्मू को बुला दे , प्यासी है सकीना पढ़ा तो मौजूद इमाम हुसैन के मातमदारों की आंखों से आंसू छलक पड़े। इस शब्बेदारी में जहां दर्जनों अंजुमनों ने मातम किया वहीं हिंदू वर्ग के शायरों ने बारगाहे इमाम में कलाम पेश कर देख की एकता व अखंडता की डोर को मजबूत कर दिया।शब्बेदारी की मजलिस को खिताब करते हुए कोलकाता से आये मौलाना मेहर अब्बास रिजवी ने कहा कि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने कर्बला में जो शहादत दी है उसकी आज तक कोई मिसाल नहीं है। मजलिस की सोजखानी समर रजा ने किया। इस मौके पर पीसी विश्वकर्मा, शोला जौनपुरी, तनवीर, अहमद निसार आदि शायरों ने कलाम पेश किया। कार्यक्रम में प्रदेश के कई जनपदों से आई अंजुमनों में मोहफीजे अजा , अंजुमन मजलूमिया फैजाबाद अब्बासिया सोरौली सुल्तानपुर, मजलुमिया लोरपुर , हैदरी बनारस आदि अंजुमनों ने नौहा और मातम किया। शब्बेदारी की अंतिम तकरीर को मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने खिताब करते हुए कर्बला के दिलसोज मंजर को ऐसा दर्शाया कि चारों ओर से लोग चीख-पुकार करने लगे। इसके बाद शबीह आलम व ताबूत निकला। शबीब हैदर सदफ , ताबिश बशीर, मीनू, भाजपा नेता कल्बे हसन, जफर अब्बास, इमरार्न , तहसीन अब्बास सोनी आरिफ हुसैनी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। संचालन अनीस जायसी , सेराज अहमद ने किया ।