अधिषासी अधिकारी ने स्ष्पट किया विरोध की वजह

जौनपुर। नगर पालिका परिषद के सभासदों द्वारा अधिषासी अधिकारी को कार्यमुक्त करने को लेकर जहां आन्दोलन जारी है वहीं सवाल उठ रहा है कि चन्द महीने के कार्यकाल के दौरान ईओ ने कितना भ्रष्टाचार मचाया और विकास कार्यो को अवरूद्ध किया। इस मामले में अधिकारी से वार्ता करने पर जो तथ्य सामने आये वे चैकाने वाले प्रतीत होते है। दर असल करोड़ों के राजस्व की हानि सभासद कर रहे है तथा कई मामले में वे हठवादिता और नियम कानून की धज्जियां उड़ाने पर दबाव बना रहे है। विगत आठ नवम्बर को पालिका की बोर्ड की बैठक में अधिषासी अधिकारी के स्थानातरंण व कार्यमुक्त करने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया। जबकि उन्हे किन कारणों से हटाया जाय यह  सभासदों ने स्ष्पट नहीं किया। किन विकास कार्यो और भ्रष्टाचार को अंजाम दिया इसे मीडिया के सामने नहीं लाया गया। प्रस्ताव के बारे में अधिषासी अधिकारी का कहना है कि बोर्ड की बैठक के पहले एजेण्डे में यह इस प्रस्ताव को षामिल नहीं किया गया था और मानमानी तरीके से प्रस्ताव पारित किया गया और धारा 58 के तहत कार्यमुक्त करने की बात कही गयी। यह कार्यवाही पूरी तरह से अवैध है। इस बात की जानकारी षासन को दे दिया गया है। उनका बाल बांका होने वाला नहीं है। उनका कहना है कि बीते 26 जुलाई को कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्हे पता चला कि यहां व्यवस्था बेहद खराब है। ज्यादातर  सभासद कर्मचारियों के साथ दुव्र्यवहार करते है और मारते पीटते है। 2015 के बाइलाज में यह व्यवस्था है कि घरेलू हाउस टैक्स और कामर्षियल के टैक्स में तीन गुना अन्तर है लेकिन सभासदों दबाव बनाकर कामर्षियल टैक्स को 2019 से जमा कराने पर अमादा है तो मैने टैक्स जमा करने से रोक दिया। राजस्व की करोड़ांे रूपये की हानि हो रही है। मै मनमानी बर्दाष्त नहीं कर सकता। विरोध का दूसरा कारण है कि बीते 20 अक्टूर को नया ष्षासनादेष आया है कि बाहरी ठेकेदारों को भी टेण्डर में षामिल किया जाय। जबकि सभासदों का कहना है कि पहले से जो बाहरी ठेकेदार हंै उन्हे हटाया जाय। जबकि ऐसा करना षासनादेष के विरूद्ध  है। इसके पीछे वजह है कि 20 से अधिक सभासद ठेकेदारी करते है वे नहीं चाहते कोई अन्य काम कराये। सभासद पालिका को षराब का अडड्ा बनाये है वे चाहते है कि मै उनके साथ अड्डेबाजी करू और उनके अवैध कार्यो को करने में मदद करू। कहा कि सभासदों ने पालिका की पूरी व्यवस्था को हाई जैक कर रखा है। मैने जब मनामानी पर रोक लगायी तो कार्यालय में पांच दिन तालाबन्दी की गयी और जिलाधिकारी के निर्देष पर ताला खुला तो हो हल्ला मचाकर सरकारी कार्यो में बाधा डाला जा रहा है। कोतवाली में एफआईआर के लिए तहरीर दिया लेकिन कार्यवाही न होने से सभासदों का हौसला बढ़ता जा रहा है। बीते 22 अक्टूबर को मेरे आवास पर एकाउण्टेट के साथ सभासदों ने दुव्र्यवाहर किया और मारने पीटने पर उतारू थे इसके लिए भी पुलिस को तहरीर दी गयी लेकिन कार्यवाही नहीं की जा रही है। अधिषासी अधिकारी ने सभासदों पर आरोप लगाया कि वे मेरे नाम पर रूपया लेते है और मुझे ही बदनाम करते है।

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