नारी तू प्यारी है, ब्रह्माण्ड से भी भारी है ; डॉ ज्योति मिश्रा

नारी मन का अनुबंध है,प्रेम का प्रबंध है।
जीवन को परिभाषित करती एक निबंध है।।
वर्षों से जिस दिन की प्रतीक्षा पूरा भारत कर रहा था आज वाह ऐतिहासिक दिन साकार हुआ है "निर्भया के  दोषियों को"  उच्चतम न्यायालय द्वारा आज फांसी की सजा दिए जाने से देश में भारतीय न्याय प्रणाली में विश्वास सुदृढ़ हुआ है।
आज के दिवस के लिए कुछ पंक्तियां प्रेषित करती हूं।
नारी तू प्यारी है, ब्रह्माण्ड से भी भारी है।
जीवन की तू निर्माता है,यादगार बचपन तुझसे ही आता है।
लक्ष्मण चरणों पर ही झुक जाते है,
विवेकानंद निवेदिता को बहन बनाते है।
भगवान भी मीरा के गुण गाते हैं,
राधा के होकर रह जाते हैं।
नमन करो उन माताओं जो शिवाजी,चन्द्रगुप्त की निर्माता है,
नारी कोई भोग नहीं श्रृद्धा से उसका नाता है।
इन्हीं पंक्तियों के साथ निर्भया न्याय दिवस की
 उच्चतम न्यायालय एवं सभी देश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
डॉ ज्योति मिश्रा
सहायक अध्यापक
प्रा० वि० मिरशादपुर बदलापुर जौनपुर।

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