मंहगाई से चारे का घोर संकट

जौनपुर। वैश्विक महामारी में लॉकडाउन के चलते आम आदमी ही नहीं बेजुबान भी संकट से जूझ रहे हैं। बंदी के चलते सड़कों पर विचरण कर रहे बेसहारा मवेशियों को जहां निवाला नहीं मिल रहा है वहीं जगह-जगह वाहनों को रोके जाने के कारण पशुपालक भी चारे को लेकर परेशान हैं। जिम्मेदार शासनादेश को अमल नहीं करा पा रहे हैं। नगरीय इलाके में तबेला के अलावा बड़ी संख्या में लोग पशुपालन करते हैं। गत कई दिनों से हो रहे लॉकडाउन के कारण उनके सामने भूसा व दाना की समस्या उत्पन्न हो गई है। शासन द्वारा मवेशियों का आहार लेकर आने वाले वाहनों को न रोकने का आदेश दिया लेकिन बिना प्रतिबंध के ही भूसा लदे वाहनों को रोकने वाली खाकी वर्दी के लिए वर्तमान में सुनहरा मौका मिल गया है। शासन व जिलाधिकारी के आदेश से अनुमति कराने के बाद भी वाहन नहीं छोड़े जा रहे हैं। दुकानदार बताते हैं कि वाराणसी, रायबरेली समेत कई जनपदों में रोके जाने से वाहन स्वामी वाहन भेजने से मना कर रहे हैं। दुर्गापूजा महासमिति के अध्यक्ष विजय सिंह बागी, कलेक्ट्रेट अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय प्रताप सिंह समेत कई पशुपालकों ने बताया कि बंदी से पहले जहां भूसा 1000 से 1200 रुपये क्विटल मिल रहा था वहीं अब बढ़कर 1500 से 1600 क्विटल मिल रहा है। पुआल का भूसा भी एक हजार क्विटल बिक रहा। सबसे अधिक संकट सड़कों पर विचरण करने वाले बेसहारा पशुओं को हो रही है।  जनपद की सीमा पर जो वाहन रुके थे उन्हें संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर छोड़वा दिया गया है। रविवार की रात दो बजे फोन कर व्यापारी ने रायबरेली में पुलिस द्वारा वाहन रोकने की शिकायत की थी। संबंधित पुलिस कर्मी से वार्ता करके वाहन को मंगवाया गया। पशुओं का भूसा, दाना, पुआल लाने वाले वाहनों का परमिट बनाया जा रहा है।

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