रैन बसेरा व क्वॉरेंटाइन स्थल हुए बेमानी, होम क्वॉरेंटाइन में भेजना हो सकता है घातक
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हिमांशु श्रीवास्तव
जौनपुर। बाहर से ट्रेनों से आ रहे लोगों को थर्मल स्कैनिंग के बाद होम क्वॉरेंटाइन में भेजना घातक हो सकता है। जाहिर सी बात है कि कोई व्यक्ति इतनी मुसीबत के बाद अगर घर पहुंचेगा तो वह खुद को परिवार से अलग नहीं रख सकेगा।ऐसी स्थिति में परिवार तथा परिवार से आसपास सामुदायिक संक्रमण की संभावना बढ़ जाएगी।इधर 5-6 दिनों के भीतर करीब 8 ट्रेन जिले में आई जिसमें 4000 लोग विभिन्न प्रांतों से आए हैं जिन्हें यहां आने के बाद रोडवेज बसों द्वारा इनके घर भेजा जा रहा है।थर्मल स्कैनिंग से जांच करके तापमान सामान्य होने पर होम क्वॉरेंटाइन के लिए भेज दिया जा रहा है जबकि प्रशासन की तरफ से पूर्व में ऐसे लोगों के लिए तहसीलों में रैन बसेरा व क्वॉरेंटाइन स्थल की व्यवस्था की गई है। इसके लिए करीब 115 कॉलेज व 206 स्कूल अधिग्रहित किए गए जिसमें 25000 से अधिक लोग ठहर सकते हैं।जब रैन बसेरे व क्वॉरेंटाइन स्थल बनाए गए हैं तो बाहर से आ रहे लोगों को होम क्वॉरेंटाइन में भेजना बड़ी प्रशासनिक चूक साबित हो सकती है।
सोमवार को ही इसका नमूना देखने को मिला।3 लोगों की कोरोनावायरस पॉजिटिव की रिपोर्ट आई है जिसमें पहला बृजेश यादव छंगापुर,रामनगर ब्लॉक बाइक से मुंबई से अपने घर पहुंचा। 5 मई को कोविड जांच के लिए सैंपल लिया गया था जो पॉजिटिव आई।संजय कुमार पटेल निवासी लखनपुर,रामनगर चार पहिया वाहन से 30 अप्रैल को अपने गांव पहुंचा। घर में अलग हिस्से में होम क्वॉरेंटाइन में रह रहा है। उसकी भी जांच रिपोर्ट 5 मई को पॉजिटिव आई। सत्यम सिंह निवासी भागलपुर, पृथ्वीपुर विकासखंड रामपुर मुंबई से बाइक से 30 अप्रैल को अपने गांव पहुंचा।इसे विद्यालय में क्वॉरेंटाइन में रखा गया।इसकी भी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई।गैर प्रांतों से आ रहे लोगों को होम क्वॉरेंटाइन के बजाय प्रशासनिक व्यवस्था के बीच रैन बसेरों व क्वॉरेंटाइन स्थल में रखना आवश्यक है।सबसे बड़ी बात यह कोई चेक करने वाला नहीं है कि क्वॉरेंटाइन में रखा गया व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क में नहीं आ रहा है या बाहरी लोगों के संपर्क में नहीं आ रहा है गांवों में तो यह लापरवाही बड़े स्तर पर है।
जौनपुर। बाहर से ट्रेनों से आ रहे लोगों को थर्मल स्कैनिंग के बाद होम क्वॉरेंटाइन में भेजना घातक हो सकता है। जाहिर सी बात है कि कोई व्यक्ति इतनी मुसीबत के बाद अगर घर पहुंचेगा तो वह खुद को परिवार से अलग नहीं रख सकेगा।ऐसी स्थिति में परिवार तथा परिवार से आसपास सामुदायिक संक्रमण की संभावना बढ़ जाएगी।इधर 5-6 दिनों के भीतर करीब 8 ट्रेन जिले में आई जिसमें 4000 लोग विभिन्न प्रांतों से आए हैं जिन्हें यहां आने के बाद रोडवेज बसों द्वारा इनके घर भेजा जा रहा है।थर्मल स्कैनिंग से जांच करके तापमान सामान्य होने पर होम क्वॉरेंटाइन के लिए भेज दिया जा रहा है जबकि प्रशासन की तरफ से पूर्व में ऐसे लोगों के लिए तहसीलों में रैन बसेरा व क्वॉरेंटाइन स्थल की व्यवस्था की गई है। इसके लिए करीब 115 कॉलेज व 206 स्कूल अधिग्रहित किए गए जिसमें 25000 से अधिक लोग ठहर सकते हैं।जब रैन बसेरे व क्वॉरेंटाइन स्थल बनाए गए हैं तो बाहर से आ रहे लोगों को होम क्वॉरेंटाइन में भेजना बड़ी प्रशासनिक चूक साबित हो सकती है।
सोमवार को ही इसका नमूना देखने को मिला।3 लोगों की कोरोनावायरस पॉजिटिव की रिपोर्ट आई है जिसमें पहला बृजेश यादव छंगापुर,रामनगर ब्लॉक बाइक से मुंबई से अपने घर पहुंचा। 5 मई को कोविड जांच के लिए सैंपल लिया गया था जो पॉजिटिव आई।संजय कुमार पटेल निवासी लखनपुर,रामनगर चार पहिया वाहन से 30 अप्रैल को अपने गांव पहुंचा। घर में अलग हिस्से में होम क्वॉरेंटाइन में रह रहा है। उसकी भी जांच रिपोर्ट 5 मई को पॉजिटिव आई। सत्यम सिंह निवासी भागलपुर, पृथ्वीपुर विकासखंड रामपुर मुंबई से बाइक से 30 अप्रैल को अपने गांव पहुंचा।इसे विद्यालय में क्वॉरेंटाइन में रखा गया।इसकी भी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई।गैर प्रांतों से आ रहे लोगों को होम क्वॉरेंटाइन के बजाय प्रशासनिक व्यवस्था के बीच रैन बसेरों व क्वॉरेंटाइन स्थल में रखना आवश्यक है।सबसे बड़ी बात यह कोई चेक करने वाला नहीं है कि क्वॉरेंटाइन में रखा गया व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क में नहीं आ रहा है या बाहरी लोगों के संपर्क में नहीं आ रहा है गांवों में तो यह लापरवाही बड़े स्तर पर है।