पढ़िए लॉ संस्थान में नियुक्त संविदा शिक्षकों की रोचक है कहानी

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में लॉ संस्थान में सात संविदा शिक्षकों को पिछले दिनों अचानक गैरकानूनी ढंग से नियमित करने के मामले ने इतना तूल पकड़ा कि शासन को नियमित शब्द और उस निर्णय को निरस्त कराने में आगे आना पड़ा। वर्तमान में कार्यवाहक रजिस्ट्रार  को भी यह आदेश क्यों निरस्त हुआ इसको मीडिया को बताना पड़ा।लेकिन लॉ संस्थान में हुई नियुक्तियों की कहानी काफी रोचक है। विश्विद्यालय के कुलपति प्रो आर आर यादव ने 2018 में परिसर में पांच वर्षीय बीए एलएलबी पाठ्यक्रम की शुरुआत की थी। बार कौंसिल ऑफ इंडिया नई दिल्ली ने इसके लिए विश्वविद्यालय को कोई मान्यता नही दी थी। बिना मान्यता के इन्होंने पूरे एक साल तक इस कोर्स को चलाया ही नही बल्कि उसमे बिना शासन की अनुमति के अपने चहेते लोंगों की नियुक्तियाँ भी कर दी जबकि बिना मान्यता के पाठ्यक्रम चलाना स्वयं में ही गलत था, जिसकी जांच होनी चाहिए थी।आज की तारीख तक शासन से इस पाठ्यक्रम में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर न कोई अनुमति है और न ही शासन से पदों को सृजन किया गया है। एक साल तक बिना किसी विज्ञापन,इंटरव्यू तथा विधिक प्रक्रिया के कुलपति ने राह चलते अपने लोंगो को गुपचुप बैक डोर से अतिथि प्रवक्ता मानदेय तीस हजार पर बुला बुला के शिक्षकों की नियुक्ति की। इस पाठ्यक्रम में विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को समन्वयक बनाया गया था।जिन्होंने भी सही मौका भांप कर अपनी ही कलम से अपनी पत्नी को भी विधिसंस्थान में बैक डोर से अतिथि प्रवक्ता पद पर कुलपति के अनुमोदन से नियुक्ति दे दी जो आज भी संविदा शिक्षक के रूप में जारी है। 
जब 2019 के अंत में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस विषय को मान्यता दी तो तुरंत आनन फानन में बिना शासन की अनुमति लिए विज्ञापन करा कर दिखाने के लिए संविदा पर शिक्षक भर्ती के लिए इंटरव्यू कराया लेकिन नियुक्ति उन्ही शिक्षकों को दी जिन्हें इन लोंगों ने गोपनीय तौर पर अतिथि प्रवक्ता के रूप में पहले से ही नियुक्त किया था।जब इससे भी मन नही भरा तो अपने कार्यकाल की अंतिम कार्यपरिषद की बैठक में इन सभी संविदा शिक्षकों को 5 सालों के लिए नियुक्त कर दिया। और लॉक डाउन के दौरान जब फिर से कुलपति प्रो आर आर यादव को मौक़ा मिला तो उन्होंने बिना शासन से पदों की स्वीकृति लिए इनको नियमित करने का सीधे गैर कानूनी आदेश दे डाला। परिसर में कार्यरत अन्य विभागों के संविदा शिक्षकों के भविष्य के बारे में कुलपति कुछ नही कर रहे। वे सब न्याय के लिए इधर उधर भाग रहे हैं। त्वरित सभी निर्णय केवल लॉ फैकल्टी के संविदा शिक्षकों को दिया गया है।परिसर में अन्य विभागों के संविदा शिक्षक हताश और निराश हैं।कहा गया है कि देर है लेकिन अंधेर नही होगी। अभी तो शासन ने सीधे लॉ वाले संविदा शिक्षकों को नियमित करने जैसे शब्द को लेकर नाराजगी जताई है लेकिन देर सबेर जब शुरुआत से ही इन लोंगों की नियुक्ति तथा भारी भरकम वित्तीय अनियमितता से संबंधित मामलों को संज्ञान लेगी तब पूरी की पूरी कहानी और उसकी सच्चाई लोंगों के सामने आएगी। बिना किसी नियम कानून से बुला बुला कर अपने चहेतों को नौकरी देना,बिना किसी औचित्य के निर्माण कार्यों में अरबों रुपये अनावश्यक खर्च करना और अपने नजदीकियों को लाभ के पद तथा अवसर देना कुलपति प्रोफेसर आर आर यादव से सीखा जा सकता है।

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