गरीबी की मार: झोले में चाट बेचने की मजबूरी

जौनपुर। करोना  बीमारी अजीबो गरीब नजारा   दिखा रहा है कभी चाट के शौकीन   शहर में   चैराहे पर लगभग ठेले वाले के पास जाकर के आराम चाट का आनंद लिया करते थे। इस बीमारी ने कितने लोगों को बदल दिया! चाट का ठेला आया झोले में इसका जीता जागता उदाहरण शहर के सब्जी मंडी मोहल्ले में रहने वाले जितेंद्र कुमार केसरवानी उर्फ नाटे उम्र 35 वर्ष सब्जी मंडी के एक कॉर्नर पर विगत 20 वर्षों से यह चाट का ठेला लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। इसके पूर्व करीब 30 वर्ष तक इनके पिता स्वर्गीय श्याम मोहन केसरवानी चाट का ठेला लगाया करते थे उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे ने व्यवसाय को संभाला।  लॉक डाउन करोना बीमारी की वजह से जब सारा शहर बंद हो गया ऐसे में  उनका परिवार  भुखमरी की स्थिति में आ गया कोई रास्ता न सूझता देख उसने एक झोले में चाट का कुछ सामान फुलकी आदि रखा और पैदल ही लॉक डाउन खुलने के बाद शहर में घूम घूम कर डोर टू डोर चाट बेचना शुरू किया । इनके परिवार में इनकी पत्नी एवं इनकी बुजुर्ग माताजी और एक छोटा बेटा रहता है। उन्होंने बताया कि दिनभर झोले में घूम घूम चाट बेचता हूं और उससे  डेढ़ से 200 की आमदनी रोज  हो जाया करती है जिससे मेरा परिवार चलता है । करोना  ने गरीबों की कमर तोड़ दी है। कहने को शासन से सहयोग मिल रहा है मगर राशन के अलावा इन्हें कहीं से कोई सहयोग नहीं मिला। बहुत बमुश्किल1000 की सरकारी सहायता इन्हें मिली अब तक। उसके बाद कोई सहायता नहीं मिली जिससे तंगहाली में जीवन गुजर रहा है। 

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