घरेलू मेड/हेल्परों की भी सुने !

कोरोना वायरस की इस महामारी की वजह से अनेको लोगो को तरह - तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । इसी कड़ी में 5 करोड़ लोग ऐसे है जिनके सामने आर्थिक संकट आ गया है । इस क्षेत्र में काम करने वाले कुल लोगो मे अधिकांश महिलाएं है । जी आप बिल्कुल सही सोच रहे है, हम बात कर रहे है घर मे काम करने वाली मेड और हेल्परों की ।

इनकी आधिकारिक संख्या 40 लाख है पर एक अनुमान के मुताबिक इनकी वास्तविक संख्या 5 करोड़ के आस पास है । कई लोगो का घर का कार्य इनके काम करने की वजह से ही पूरा होता है । बदले में इन्हें पैसे मिलते है जिससे इनका घर चलता है । कई-कई  घरों मे झाड़ू-पोछा, खाना बनाना, बूढ़े लोगो की देखभाल करना आदि अनेको कार्य इनके द्वारा किया जाता है । पर लॉक-डाउन और मीडिया की खबरों से कोरोना वायरस से लोग जरूरत से अधिक घबरा गए है और अपने घरों में मेड को कार्य करने को मना कर दिया है । जिससे मेड की कमाई रूक गई है, थोड़ा बहुत जो भी इनके पास था उससे उन्होंने कुछ दिन गुजरा किया पर अब मुश्किल हो रही है ।

विभिन्न सोसाइटी ने कोरोना वायरस से बचने के लिए घर मे कार्य करने वाली महिलाओं/हेल्परों पर रोक लगा दी है । उनका मानना है कि ये लोग कई घरों में कार्य करते है ऐसे में संभव है कि यदि किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आये तो अनेको घरो में कोरोना वायरस फैल सकता है ।

वही दूसरी तरफ घर मे कार्य करने वाली मेड और दूसरे लोगो का अपना अलग तर्क है । उनका कहना है कि हम भी तो अपने जान को जोखिम में डाल कर कार्य करना चाह रहे है पर यह बात सोसाइटी और वहां के लोगो को समझ मे नही आ रही है ।

कोविड-19 के बचाव हेतु सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए ये लोग तत्पर है पर कई सोसाइटी घरो के लोग तब भी इन्हें कार्य करने का मौका नही दे रहे है । कई सोसाइटी ने तो यहां तक कर दिया हैं कि कोविड टेस्ट रिपोर्ट के साथ कार्य करने आये । गरीब तबके के इन लोगो के लिए कोविड टेस्ट करना अत्यंत मुश्किल भरा कार्य है । जो न केवल खर्चीला है बल्कि सरकारी मनको पर ही हो सकता है ।

इस क्षेत्र में कार्य करने वाली अनेको महिलाएं और पुरुष शहरी क्षेत्र में रहते है । जिन्हें अपना घर चलाना अब मुश्किल हो गया है । कई मेड का कहना है कि कुछ दिनों तक स्थिति को देखेंगे और यदि काम नही मिलता है तो गांव को पलायन कर जायेगे । मजदूरों के बाद इनके पलायन से अनेको समस्या सभी को हो सकती है ।

बहुत कम सोसाइटी और लोग है जिन्होंने इस तरह के लोगो को अपने यहां कार्य करने की अनुमति दी हुई है । अधिकांश लोगों के पास कार्य नही है । सरकार और स्थानीय निकाय अभी तक न इनकी समस्या को समझ नही पाए है और न इनके बारे मे अभी तक कोई कार्यवाही की गई है । मुम्बई दिल्ली राज्य जहां सबसे अधिक कोरोना संक्रमित है वहां पर इनकी संख्या अत्यधिक है।

आज सभी सोसाइटी को इस बात पर विचार करना चाहिए कि भारत का सिस्टम सामूहिकता से चलता है जहां एक दूसरे के सहयोग से कार्य पूरे किए जाते है यदि इनके बारे में विचार नही किया जाता है तो समस्या दोनो पक्षो को होगी ।

कुछ लोग जो इन लोगो की वजह से कार्य करना भूल चुके थे इस लॉक-डाउन में कार्य करना उन पर भारी पड़ा है और वो चाहते है कि ये लोग जल्द से जल्द कार्य पर लौटे, वही ढेरो लोग अभी भी डरे हुए है और इन लोगो से कार्य कराने में डर रहे है ।

आर्थिक स्थिति विगड़ रही है जब संगठित क्षेत्र में अनेको समस्या आज दिख रही है जहाँ बेरोजगारी वेतन कटौती अपने चरम पर है ऐसे में इस क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं लोगो की समस्या बड़ी समस्या है ।

स्थानीय निकाय और शासन मिलकर इनके हितो को सुरक्षित करने के लिए आगे आने चाहिए साथ ही सोसाइटी को अपने डर से थोड़ा बाहर आकर इन्हें कार्य करने का मौका देना चाहिए । कोविड19 के सुरक्षा मानकों का पूर्ण पालन कराकर के इनसे कार्य लिया जा सकता है बशर्ते दोनो पक्षो की सहमति इस बात पर बने ।फिलहाल जब तक इन्हें कार्य नही मिल रहा है इन लोगो के सामने आर्थिक संकट बड़े स्वरूप में सामने है जिसे पार पाना इन सब के बस की बात नही है ।

इनके कई संगठन भी है पर अभी तक वो भी प्रभावी नही हो पाए है और न ही किसी को यह समझाने में सफल हो पाए है कि इन्हें कार्य पर वापस क्यो लिया जाय । ऐसे में इन लोगो की समस्या का समाधान मीडिया के जरिये भी हो सकता है । इनकी समस्या को प्रमुखता से जिम्मेदार लोगों तक पहुचाकर । क्योंकि ये लोग भी हमारी आप की तरह इंसान है देश के नागरिक भी ।
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com

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