भारत को चीन संदर्भ में दीर्घकालीन विदेश नीति की आवश्यकता
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जौनपुर। तिलकधारी महाविद्यालय द्वारा सोमवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी का विषय "भारत-चीन संबंध: एक SWOC विश्लेषण" था। इस अवसर पर प्रमुख वक्ता के रूप में केंद्रीय विश्वविद्यालय गुजरात से प्रो॰ मनीष, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रो हर्ष कुमार सिन्हा तथा एलबीएस कॉलेज गोंडा से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आर एस पांडे ने अपने विचार व्यक्त किए । प्रो॰ मनीष ने कहा कि चीन ने भारत के पड़ोसी राष्ट्रों पाकिस्तान नेपाल बांग्लादेश अफगानिस्तान जैसे देशों को आर्थिक सहायता देकर भारत के विरुद्ध घेराबंदी करने का कार्य कर रहा है। चीनी उत्पादों से स्थानीय बाजारों को नुकसान पहुंचाया है। प्रो॰ हर्ष ने बताया कि वर्तमान संकट से उबरने के लिए भारत को चीन के विरुद्ध और चीन के संदर्भ में एक दीर्घ कालीन विदेश नीति की आवश्यकता है। चीन अंतरराष्ट्रीय जगत में एक विश्वसनीय राष्ट्र के रूप में पहचान बनाने में असफल रहा है। वहीं इस समस्या से निपटने में सामरिक और आर्थिक मोर्चे पर वर्तमान समय में अमेरिका और रूस का भी समर्थन प्राप्त है । डॉ पांडे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि चीन की नीति रही है कि पूर्व में शोर करो और पश्चिम में हमला करो। आज भी चीन इसी नीति पर कार्य कर रहा है। भारत उदारवादी व पंचशील में आज भी उलझा हुआ है जबकि चीन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना द्वारा पुरे विश्व के बाजार पर कब्जा करना चाहता है।भारत अपने सीमाओं पर सड़क निर्माण कर रहा है जिससे उसे आपत्ति है । इसी कारण भारत में अस्थिरता उत्पन्न करना चाहता है ।
इस कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना के पश्चात प्राचार्य डॉ सरोज सिंह के स्वागत भाषण से हुई । कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ शिखा श्रीवास्तव ने किया । उन्होंने बताया कि इस वेबिनार में सोशल मीडिया यूट्यूब के माध्यम से तथा ज़ूम ऐप के द्वारा देश के विभिन्न प्रदेशों से लगभग 500 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। इसमें तकनीकी सहयोग रक्षा अध्ययन विभाग के शोध छात्र राहुल सेठ ने किया। इस संगोष्ठी में आए अतिथियों का धन्यवाद आइक्यूएसी के सदस्य डॉ सुधांशु सिन्हा ने किया । इस कार्यक्रम में डॉ कपिल देव सिंह, डॉ शैलेंद्र नाथ सिंह, डॉ हिमांशु, डॉ संतोष, डॉ धर्मेंद्र, डाॅ आनंद कुमार सिंह, चंद्रजीत, शिखर कांत ,शिवेश, सीमा, सतीश, मुकेश, योगेन्द्र आदि उपस्थित रहे। ।