कही मौत का पुल न बन जाय बास से बना यह ब्रिज
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जौनपुर। बारिश के मौसम में एक दर्जन से अधिक गांव के लोग अपनी जान की बाजी लगाकर घर से निकलने पर मजबूर हो गये है। पुरूषो, महिलाओ के साथ साथ नन्हे मुन्ने बच्चो की भी जान शासत में है। इस तरफ न तो ध्यान चुनावो में वोट मांगने वाले सांसदो, विधायको का है न ही जिले के आला अफसरो का है। मजबूरी में इन गांवो के लोग नाव के साहरे गोमती नदी पार करके बास बल्लियों से बने पुल के सहारे नाले को पार करके आने जाने को मजबूर है।
नगर से सटे गोमती नदी के किनारे बसा प्यारेपुर गांव तथा नदी के उस पार सुल्तानपुर कोहड़े गांव है। इन दोनो गांव के बीच एक बड़ा नाला भी बहता है। दहीरपुर नाले के नाम से मसहूर यह नाला बारिश के मौसम में विकराल रूप ले लेता है। इस नाले पर पक्का पुल न होने के कारण ग्रामीणो ने बास बल्लियों का पुल बनाकर इस पार से उस पार आते जाते है। उधर गोमती को पार करने के लिए तार के सहारे चलायी जा रही नाव से अपना सफर तय कर रहे है। ग्रामीणों यह सफर काफी खतरनाक है। लेकिन मजबूरी लोग अपना जान जोखिम में डालकर आते जाते है। इन गांवो के लोगो ने अपनी मजबूरी बताते हुए सरकार से मांग किया कि नाले पर पुल बनाया जाय। इस पुल को पार करके स्कूल आने जाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चो ने शासन प्रशासन से मांग किया कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण कराया जाय जिससे हम लोग बेखौफ होकर पढ़ाई लिखाई कर सके।
नगर से सटे गोमती नदी के किनारे बसा प्यारेपुर गांव तथा नदी के उस पार सुल्तानपुर कोहड़े गांव है। इन दोनो गांव के बीच एक बड़ा नाला भी बहता है। दहीरपुर नाले के नाम से मसहूर यह नाला बारिश के मौसम में विकराल रूप ले लेता है। इस नाले पर पक्का पुल न होने के कारण ग्रामीणो ने बास बल्लियों का पुल बनाकर इस पार से उस पार आते जाते है। उधर गोमती को पार करने के लिए तार के सहारे चलायी जा रही नाव से अपना सफर तय कर रहे है। ग्रामीणों यह सफर काफी खतरनाक है। लेकिन मजबूरी लोग अपना जान जोखिम में डालकर आते जाते है। इन गांवो के लोगो ने अपनी मजबूरी बताते हुए सरकार से मांग किया कि नाले पर पुल बनाया जाय। इस पुल को पार करके स्कूल आने जाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चो ने शासन प्रशासन से मांग किया कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण कराया जाय जिससे हम लोग बेखौफ होकर पढ़ाई लिखाई कर सके।