अंततः जुर्म स्वीकारने पर रिहा हो गए बांग्लादेशी जमाती
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जौनपुर। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किए गए 14 बांग्लादेशी जमातियों ने धारा 307 हटने के बाद शेष धाराओं में कोर्ट में जुर्म स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने आरोपियों को जेल में बिताई गई अवधि तक के कारावास एवं पांच-पांच सौ रूपये जुर्माने की सजा सुनाया।जुर्माना अदा करके आरोपी रिहा हो गए।अब वे बांग्लादेश भेजे जाएंगे। कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में तब्लीगी जमातियों पर संक्रमण फैलाने का मामला प्रकाश में आया। दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में जमातियों को संक्रमण फैलाने की शिक्षा देने वाले मोहम्मद शाद पर जब गैर इरादतन हत्या की एफ आई आर दर्ज की गई क्योंकि संक्रमण से कई लोगों की मृत्यु हो गई।इसी के बाद देशभर में आरोपियों के खिलाफ,जो जमात से जुड़े थे उन पर धारा 307,महामारी अधिनियम तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराओं की बढ़ोतरी की गई।
सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र के लाल दरवाजा स्थित मुनीर अहमद के मकान से 31 मार्च 2020 को मोहम्मद फिरदौस समेत 14 बांग्लादेशी व चार अन्य आरोपी गिरफ्तार हुए। आरोपियों के खिलाफ प्रारंभ में पासपोर्ट एक्ट,फॉरेनर्स एक्ट व अन्य धाराओं के तहत एफ आई आर दर्ज हुई।बाद में पुलिस ने विवेचना में धारा 307 लगाया कि आरोपी छिपकर संक्रमण फैलाने का प्रयास कर रहे थे जबकि उन्हें पता था कि संक्रमण से लोगों की जान जा सकती है।शासन के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ पहले तो धारा 307 लगाते हुए आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया लेकिन बाद में पुलिस अधीक्षक से अग्रिम विवेचना की अनुमति लेकर जिस मकान से आरोपी बरामद हुए थे,उसके बेटे का बयान लेकर पुलिस ने धारा 307 हटाकर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी।उसके बेटे ने बयान दिया कि आरोपियों ने कोरोनावायरस फैलाने का कोई प्रयास नहीं किया।उन्हें संक्रमण की जानकारी भी नहीं थी और न उनमें कोई लक्षण ही संक्रमण के थे।वे घर से बाहर भी नहीं निकले।वे धार्मिक कार्य से आए थे। अच्छी भावना होने के कारण हम लोगों ने घर किराए पर दिए थे।पत्रावली सेशन कोर्ट में सुपुर्द की गई।इसके बाद जिला जज की अदालत में आरोपियों की तरफ से प्रार्थना पत्र दिया गया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 307 पहले ही हट गई है। फॉरेनर्स एक्ट व पासपोर्ट एक्ट की धाराएं भी आरोपियों पर लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी तीर्थ स्थलों का दर्शन करने के लिए भारत आए थे।दरगाह व मस्जिद का दर्शन करना कोई अपराध नहीं है।आरोपियों के अधिवक्ता रमेश शोलंकी ने इन धाराओं में भी आरोपियों को उन्मोचित करने की मांग किया। कोर्ट ने धारा 307 मैं उन मूर्छित करते हुए पत्रावली सीजीएम कोर्ट में भेजा शुक्रवार को आरोपियों ने सीजेएम कोर्ट में जुर्म स्वीकार किया। कोर्ट ने आरोपियों को जेल में बिताई गई अवधि तक कारावास व जुर्माने की सजा सुनाया।आरोपी जुर्माना अदा कर रिहा हो गए।