बटन दबते ही जनता का करोड़ो रूपये बह जायेगा गंदे पानी में !
नगर के घरो का गंदा पानी बहाने के लिए करीब तीन माह पूर्व नमामिगंगे परियोजना तहत 4 सौ 40 करोड़ रूपये की लागत से पूरे शहर में पाइप लाइन बिछाई जा रही है। शासन की मंशा है कि शहर के नालियोें का पानी सीवर पाइप के जरिये पचहटिया के पास ले जाकर वहां मशीन द्वारा फिल्टर करके साफ पानी को गोमती नदी बहाया जायेगा तथा कुड़े कचरे से खाद व बिजली बनाया जायेगा। सरकार की इस महत्वाकां़क्षी योजना पर शैष्वाकाल में भ्रष्टाचार का ग्रहण लग गया है। स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता ने कहा कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कार्य में हो रही वित्तिय अनियमितता पर संस्था लगातार सवाल उठा रही है। साथ ही 30 एमएलडी की क्षमता सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जिसकी लागत 206 करोड़ रूपये एवं सीवर लाइन बिछाने का कार्य जिसकी लागत 235 करोड़ रूपये है। दोनो कार्यो में बेहद गम्भीर खामी है।
श्री गुप्ता ने साफ आरोप लगाया कि जल निगम द्वारा लगातार पैसे का बंदरबाट किया जा रहा है। शिकायत के बाद भी कार्य कराया जा रहा है। अधिकारियों की मनमानी के कारण हमारी संस्था को मजबूरी में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करना पड़ा। कोर्ट ने इस मामले को गम्भीरता से सज्ञान में लेकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त किया। कोर्ट ने जल निगम के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता सुनील कुमार यादव द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को यह अवगत कराया गया कि उपरोक्त सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कार्य में न तो काई वित्तीय अनियमितता है और न ही कोई तकनीकी गड़बड़ी है।
इस मामले को जब शासन स्तर पर शिकायत किया गया तो उच्च स्तरीय जांच कराकर अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर उनके विरूध अपराधिक मुकदमा दर्ज व नौकरी से बरखस्तगी की मांग किया तो अधिशासी अभियंता सुनील कुमार यादव ने अपनी गर्दन बचाने के लिए 14 मई 2020 को इसका ठीकरा अपने उच्चाधिकारियों के सर पर फोड़ते हुए एक पत्र एसटीपी के प्रोजेक्ट मैनेजर,अधिक्षण अभियंता जल निगम वाराणसी और मुख्य अभियंता जल निगम उत्तर प्रदेश को लिखा। तीनो अधिकारियों को प्रेषित पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि एसटीपी निर्माण कार्यो में किस प्रकार से जल्दबाजी में एवं मानक के विरूध जाकर डिजाइन व ड्राइंग का अप्रूवल अधिक्षण अभियंता द्वारा कार्यदायी फर्म को दिया गया एवं कुटरचित रूप से अनुबंधो में दी गयी शर्तो की अनदेखी की गयी जिसके कारण अब तक हुए एसटीपी कार्य में ही करोड़ो रूपये की वित्तीय अनियमितता का खेल उजारगर हुआ।
एक तरफ अधिशासी अभियंता हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर सब कुछ आल इज वेल की बात कही है वही दूसरी तरह अपने उच्चाधिकारियों को भेजे गये पत्र में भारी खामियां बता रहे है।
आप लोग इसी से अंदाजा लगा सकते है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कार्य में क्या खेल हो रहा है।