हुसैनशाह शर्की ने इजात कराया था राग जौनपुरी , आप भी सुनिए यह राग

फिल्मो और पाकिस्तानी गजल गायको द्वारा किया जा रहा प्रयोग

आदि गंगा गोमती के पावन तट पर बसा जौनपुर, भारत के इतिहास में अपना विशेष स्थान रखता है। अति प्रचीनकाल में इसका आध्यात्मिक, व्यक्तित्व और मध्यकाल में सर्वागिक उन्नतिशील स्वरूप इतिहास के पन्नो पर दिखाई पड़ता है। शर्कीकाल में यह समृध्दशाली राजवंश के हाथो सजाया गया। उस राजवंश ने जौनपुर को अपनी राजधानी बनाकर इसकी सीमा दूर दूर तक फैलाया। यहां दर्जनो मस्जिदो के निर्माण के साथ ही जौनपुरी राग का इजात कराया। 

इतिहासकार बताते है कि शर्की शासनकाल का आखिरी बादशाह हुसैनशाह शर्की गीत संगीत का काफी शौकिन था उसने अपना मनपसंद राग का इजात कुछ स्थानीय कलाकारो द्वारा करवाया। जौनपुरी राग में ही गीत गजल उसके महफिल में कलाकार सुनाते थे। फिल्मो में इस राग का इस्तेमाल आज किया जा रहा है। उधर कई पाकिस्तानी गजल गायक भी जौनपुरी राग के मुरीद है। वे अपने गजलों में राग जौनपुरी का प्रयोग कर रहे है। 

इस ऐतिहासिक राग को जौनपुर का एक संगीत घराना आज भी सजोकर रखा है। नगर के रासमण्डल मोहल्ले के निवासी पं0 रामप्रताप मिश्रा ने यह विरासत अपने बच्चो को देकर इस दुनियां से अलविदा हुए है। अपने पूर्वजो से मिले इस राग को बल्ला गुरू खुद गा रहे है साथ अपने बच्चो को इस विद्या को सिखा रहे है। 

बल्ला गुरू द्वारा गया जा रहा है राग जौनपुरी में गीत को सुनकर आपको खुद कई फिल्मी गानो की धुन याद आ जायेगी। 

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