धान की फसल में बढ़ा रोगों एवं कीटों का प्रकोप

   

 कंडुआ रोग व निदान - 

 - जौनपुर : जिले के कई क्षेत्रों में धान की फसल पर रोगों एवं कीटो का प्रकोप बढ़ा है, इससे किसानों में बेचैनी है। किसान लगातार कृषि विभाग के साथ अन्य कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर इसके निदान के उपाय की तलाश में है। जनपद के करंजाकला, खुटहन, शाहगंज,सुइथाकला, बदलापुर, सुजानगंज आदि क्षेत्रों में इस समय मिथ्या कंडुआ रोग एवं तना बेधक कीट के प्रकोप की सूचना किसानों ने कृषि विभाग को दी है। 
धान की फसल में रोगों एवं कीटों की पहचान एवं बचाव के लिए किसानों को उप परियोजना निदेशक (आत्मा) डा. रमेश चंद्र यादव ने बताया कि कंडुआ रोग के प्रकोप से धान की बालियों में कुछ दाने पीले रंग के पाउडर में बदल जाते हैं जो बाद में काले रंग के चूर्ण हो जाते हैं, सारी फसल बर्बाद हो जाती है। कंडुआ रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यू पी एक किलोग्राम दवा प्रति हेक्टेयर 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए, या क्लोरोलोनिल 70 डब्ल्यू पी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें अथवा प्रोपिकोनाज़ोल एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने से रोग पर नियंत्रण होगा। *तना बेधक कीट एवं निदान* : मादा कीट धान की पत्तियों पर समूह में अंडे देती है, अंडो से सूड़िया निकलकर तनो में घुसकर मुख्य कल्ले को छति पहुंचाती हैं जिससे मृत गोभ तथा बालिया सफेद दिखाई देती हैं। इसके नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफास 20 ईसी 1.5 मिली. दवा अथवा मोनोक्रोटोफॉस दवा 1.5 मिली दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर स्टीकर मिलाकर छिड़काव करने से फसल की सुरक्षा हो जाएगी।

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