कोरोनाकाल में मानवता तार तार हो गई है : प्रो नंद लाल
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला रविवार को समाप्त हो गया। समापन सत्र में "कोविड-19 का मानवीय सभ्यता और मानवता पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव विषय पर हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो नंद लाल मिश्रा ने कहा कि कोरोनाकाल में मानवता तार तार हो गई है, लोगों के व्यवहार में अकल्पनीय परिवर्तन देखने को मिला है , धनाढ्य वर्ग दूसरी लहर के लिए उत्तरदाई है, दूसरे देशों से करोना कैरियर बने हैं यही लोग और कुछ अवसरवादी लोगों ने इसे भी अवसर में बदल दिया ,लोगों ने कालाबाजारी की, लोग अत्यधिक पतित हो चुके हैं मानवता तार-तार हो गई है।
इसमें भी ज्यादातर हाई सोसाइटी के लोग ही शामिल है। यह बहुत बड़ी समस्या है की डॉक्टर्स भी कंफ्यूज है, मानवीय सभ्यता के विषय में उन्होंने बताया कि कोई भी महामारी आती है तो उसका प्रभाव काफी लंबे समय तक रहता है फिर भी मानव सभ्यता खत्म नहीं होती साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग घरों में है उनमें दो तरह की बीमारी आगे देखने को मिलेगी साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर और न्यूरोटिक डिसऑर्डर ।
लाखों लोग मनोविकार से ग्रस्त होंगे,आने वाले समय में, 1950 से1920 तक के समाज की 3 पीढ़ियों को देखा जाए तो पहली पीढ़ी मूल्यों के वाहक थे जबकि हमारी पीढ़ी अंतर्द्वंद में जी रही है बच्चों को कहां पढ़ाएं , क्या पहनाएं आदि हमें वह भी करना पड़ रहा है जो हमें नहीं करना चाहिए ।आने वाली पीढ़ी आर पार की पीढ़ी होगी अर्थात स्वार्थी होगी, अपने माता-पिता की भी चिंता नहीं करेगी अतः अभी समय है हम सब को समय रहते चेतने की आवश्यकता है।
बतौर वक्ता शाइस्ता खान ने कहा कि कोविड-19 का छोटे बच्चों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है कोविड-19 में बच्चों के बचाव के संबंध में अधिकारों की जानकारी दी ऐसे बहुत से अधिकार जैसे जो बच्चे अनाथ हो गए गए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत बच्चों को गोद लेने का प्रावधान है सीधे बच्चों को गोद लेना गैर संवैधानिक है। उन्होंने कहा कि ऐसी भ्रांतियां ना फैलाएं कि तीसरी लहर बच्चों को इफेक्ट करेगी जबकि ऐसा नहीं है हम सबको इफेक्ट करेगी अतः बच्चों में डर की स्थिति न फैलाएं राष्ट्रीय बाल विकास आयोग किस तरह कोविड-19 के दौरान बच्चों से जुड़ी समस्याओं का निस्तारण कर रहा है जैसे सेक्सुअल एब्यूज आदि उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री केयर फंड से जो बच्चे अनाथ हो गए हैं उन्हें 10 लाख स् टाइफेन दिया जाएगा, ध्यान दें कि बच्चों को नकारात्मक न्यूज़ न देखने दे ,बच्चों के लिए कुछ रोचक गतिविधियां प्लान करें ताकि वह खुश रहे थोड़ा भी निराश दिखे तो उनकी काउंसलिंग करवाएं ,बच्चों को उनकी आयु के अनुसार सूचनाएं देकर उन्हें सुरक्षित रहना सिखा सकते हैं उन्होंने टोल फ्री नंबर 1800 -212 -830 के बारे में बताया जिस पर बच्चों की काउंसलिंग की जाती है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस नंबर को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित किया जाए बतौर वक्ता संजय परमार ने कहा कि किशोरों में बहुत तरह की समस्याएं सामने आ रही है हमें उन्हें बताना चाहिए की अपनी क्षमता को पहचान कर उसी के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करें तभी वह सफल हो सकेंगे मनोविज्ञान पर विश्वास करना होगा समय समय पर मनोवैज्ञानिकों की सहायता लेनी चाहिए ।अतिथियों का स्वागत प्रो० अजय प्रताप सिंह जी ने किया |संचालन अन्नू त्यागी ने तथा आभार डॉ श्वेता सिंह ने व्यक्त किया।
अंत में कार्यक्रम सचिव डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने सभी को धन्यवाद देते हुए फीडबैक फॉर्म भरने का आग्रह किया | कार्यक्रम में प्रो मानस पांडेय, प्रो देवराज , डॉ मनोज मिश्र डॉ प्रमोद यादव, डॉ मनोज पाण्डेय ,अनुराग, डॉ पुनीत धवन, डॉ राज कुमार, डॉ अवधेश, डॉ अवध बिहारी,, डॉ वनिता आदि उपस्थित रहे तकनिकी सहयोग शोध छात्र अवनीश विश्वकर्मा ने प्रदान किया |