प्रधानों का डिजिटल हस्ताक्षर न होने से गांवों में विकास की रफ्तार थम गई
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जौनपुर। नवनिर्वाचित सभी ग्राम प्रधानों का डिजिटल हस्ताक्षर न होने की वजह से गांवों में विकास की रफ्तार थम गई है। बदले नियम के तहत अब ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों का भुगतान डिजिटल माध्यम से होता है। सचिव व प्रधान का संयुक्त डिजिटल हस्ताक्षर मिलाए बिना कार्य नहीं हो सकते। अभी भी कई गांवों के प्रधानों का डिजिटल हस्ताक्षर नहीं बना है, जिस वजह से तमाम गांवों में विकास कार्य प्रभावित है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल हस्ताक्षर बनाया जा चुका है।
मई के आखिरी सप्ताह में 1740 नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को शपथ दिलाई गई। इसके बाद अलग-अलग तारीखों में समितियों का गठन हुआ। पूर्व व्यवस्था के तहत नए प्रधानों का भी डिजिटल हस्ताक्षर बनाने की प्रक्रिया जून के मध्य में शुरू की गई। डीपीआरओ कार्यालय की ओर से दावा किया जा रहा है कि सभी ग्राम पंचायतों में डिजिटल हस्ताक्षर के लिए पंजीकरण करा लिया गया है। हालांकि हकीकत इससे परे है। अभी भी कई गांवों में प्रधानों का डिजिटल हस्ताक्षर या तो बन नहीं सका है अथवा वह कार्य नहीं कर रहे हैं, जिससे गांवों में पंचायत निधि से विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। पिछले कार्यकाल के दौरान भी नई योजना की शुरुआत के दौरान डिजिटल हस्ताक्षर तैयार करने में काफी दिक्कत हुई थी, जिसे व्यवस्थित करने में अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के पसीने छूट गए थे।