आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए किसान करे छिड़काव : डा. रमेश चंद्र यादव
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जौनपुर : मौसम के आकलन के आधार पर आलू की फसल पर झुलसा बीमारी निकट भविष्य में आने की संभावना है, पछेती झुलसा दिसंबर के अंत से जनवरी की शुरुआत में लगता है, इस बीमारी में पत्तियां किनारे व शिरे से झुलसना प्रारंभ होती हैं, जिसके कारण पूरा पौधा झुलस जाता है, पौधों के ऊपर काले काले चकत्ते दिखाई पड़ते हैं जो बाद में कंद को भी प्रभावित करते है। ठंड का पारा हर दिन बढ़ता जा रहा है, सर्द हवाएं न केवल हमारे लिए ही मुश्किलें खड़ी कर रही हैं बल्कि फसलों को भी उतना ही नुकसान हो रहा है। इन दिनों आलू की फसल के लिए यह ठंड काफी नुकसानदायक है, हवाओं के साथ पाला भी पड़ना शुरु हो चुका है जिससे आलू की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। आलू की फसल में झुलसा रोग लगना भी शुरू हो चुका है, झुलसा रोग लगने से आलू की फसल लगाने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है आलू की बुआई देर से करने पर और दिक्कतें खड़ी होती है।
उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चंद्र यादव ने बताया कि जिन क्षेत्रों में अभी झुलसा रोग नहीं आया है वहां पहले ही मेंकोजेब या रिडोमिल 2.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से तुरंत छिड़काव करें, इसके अलावा जिन क्षेत्रों में यह बीमारी आलू में लग चुकी है उनमें साइमोक्सेनिल, मेंकोजेब या फिनेमिडोन मेंकोजेब 3 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें, इसमें स्टिकर अवश्य डालें, उन्होंने किसानों से कहा कि वह इस प्रक्रिया को 10 दिन में दोहरा सकते हैं, उन्होंने किसानों को हिदायत जारी करते हुए कहा कि वह फसलों में जरूरत से अधिक कीटनाशक का उपयोग न करें। उप परियोजना निदेशक कृषि प्रसार डा. रमेश चंद्र यादव ने बताया कि किसान इस झुलसा रोग से फसल को बचा सकते हैं वह भी बिना किसी लागत के बिना किसी कीटनाशक पर पैसा खर्च किए हल्की सिंचाई करके आलू की फसल को झुलसा रोग से नियंत्रित कर सकते हैं, अगर खेत में नमी रहती है तो फसल पर पाले का भी प्रभाव नहीं पड़ता है फलस्वरूप वेहतर उत्पादन प्राप्त होता है।