याद करो इतिहास जरा, कैसे दुर्दिन आया था.....
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याद करो इतिहास जरा,
कैसे दुर्दिन आया था।
जब नासमझ भारतीयों ने, विदेशी वस्तुओं को
अपनाया था।
टूटे थे सब छोटे छोटे
उद्योग धंधे।
हम समझ नहीं पाये थे
विदेशियों के चतुर फंडे।
वही विदेशी वस्तुओं का मोह लम्बी अवधि तक दर्द दिया।
गुलाम भारतीय यह समझ रहा वह भला
जीवन कैसे जिया।
फांसी पर चढ़ कर के
आजादी दिलवाया।
मानो यह कह रहा हो
मेरे भारतीय भाइयों ने
क्यो फिर विदेशी वस्तु
अपनाई।
आज हम ध्यान दें इतिहास न दोहराएं।
अपने भारतीय भाइयों से ही वस्तु खरीद कर
पवित्र त्योहार मनायें।
डा पूनम श्रीवास्तव असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग सल्तनत बहादुर पी जी कालेज बदलापुर जौनपुर
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