सिकरारा ब्लाक की दशा दयनीय, अधिकारी मौन, जिम्मेदार कौन?
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जौनपुर। सिकरारा विकास खण्ड के भवन, शौचालय आदि हो रहे खंडहर में तब्दील मगर जिम्मेदार मौन हैं। ब्लॉक पर पीने के लिए पानी तक उपलब्ध नहीं है। साधारण शब्दों में कहा जाय कि आज यदि किसी सचिव, लिपिक से मिलने के लिए लोग जाते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। कहा जाता है कि मेन रोड पर सचिव व्यक्तिगत अपने खर्च पर अपना ऑफिस खोलकर बैठे हैं। यदि इसी प्रकार से ब्लॉक का काम किया जा सकता है तो फिर सरकार द्वारा संचालित ब्लॉकों पर होने वाले व्यय को सुरक्षित किया जाय? फिर आखिर राजस्व की क्षति क्यों की जा रही है? यह विकास हेतु बना कार्यालय किसी जंगल या डरावना भूत बंगला से कम नई है।नए बिल्डिंग का निर्माण हुआ परन्तु छत नहीं पड़ी और आज के डेट में वह भी खंडहर बन अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है जबकि वीडीओ, एडीओ पंचायत, स्थापना, ज्वाइंट, विकास खण्ड अधिकारी, बीस से अधिक सचिव, सभी को व्यवस्था और संरक्षण देने वाला ब्लॉक प्रमुख हैं। फिर भी पीने के लिए पानी नहीं, सचिवों के लिए कार्यालय तक मुहैया नहीं है। जिला स्वच्छता समित के नाम पर बना कार्यालय भी उपेक्षित है।
बताते चलें किविकास के नाम पर बैठे अधिकारियो के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती कारण है कि उन्होंने ने संबंधित ब्लॉकों का औचक निरीक्षण करने की आवश्यकता ही नहीं समझी। उन्हें कागजों या जुबानी व्यवस्थाओं और भवन को दिखा और सुना दिया जाता है। अधिकारियों का गुमराह करने में विकास खंड के कर्मचारी भी हो सकते हैं परंतु मुखिया तो मुखिया ही होता है। चाहे वह घर हो या कार्यालय।
कुछ जिम्मेदारों से बात करने पर पता चला कि इतने बड़े प्रांगण में शौचालय, पीने के लिए पानी, एवं कैंटीन की कोई भी व्यवस्था नहीं है। इस तरह की दुर्व्यवस्था अन्य ब्लॉकों पर भी है जबकि ब्लॉकों के अंतर्गत लगभग 50 से 100 ग्रामसभाओं के विकास कार्यों के लिए साक्षरता स्वच्छता औषधालय और अब तो सरकार द्वारा ग्रामसभा स्तर पर दुकान भी मुहैया करने जा रही है जिसमें आवश्यकताओं की सभी वस्तुएं उपलब्ध होंगी। इतना बड़ा कार्य कराने वाला वह ब्लॉक अपने ही आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असक्षम साबित हो रहा है, यह कौन देखेगा?
बताते चलें किविकास के नाम पर बैठे अधिकारियो के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती कारण है कि उन्होंने ने संबंधित ब्लॉकों का औचक निरीक्षण करने की आवश्यकता ही नहीं समझी। उन्हें कागजों या जुबानी व्यवस्थाओं और भवन को दिखा और सुना दिया जाता है। अधिकारियों का गुमराह करने में विकास खंड के कर्मचारी भी हो सकते हैं परंतु मुखिया तो मुखिया ही होता है। चाहे वह घर हो या कार्यालय।
कुछ जिम्मेदारों से बात करने पर पता चला कि इतने बड़े प्रांगण में शौचालय, पीने के लिए पानी, एवं कैंटीन की कोई भी व्यवस्था नहीं है। इस तरह की दुर्व्यवस्था अन्य ब्लॉकों पर भी है जबकि ब्लॉकों के अंतर्गत लगभग 50 से 100 ग्रामसभाओं के विकास कार्यों के लिए साक्षरता स्वच्छता औषधालय और अब तो सरकार द्वारा ग्रामसभा स्तर पर दुकान भी मुहैया करने जा रही है जिसमें आवश्यकताओं की सभी वस्तुएं उपलब्ध होंगी। इतना बड़ा कार्य कराने वाला वह ब्लॉक अपने ही आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असक्षम साबित हो रहा है, यह कौन देखेगा?