शिव आरती
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ओम जय डमरूधारी,तेरी महिमा अतिभारी।
मात-पिता तू मेरे,
मात-पिता तू मेरे,
आया तेरे द्वारी।
ॐ जय डमरूधारी...(2)
श्वेताम्बर, पीताम्बर सोहे अंग तेरे,
शिव सोहे अंग तेरे।
भांग, धतूर ही लाया,
भांग, धतूर ही लाया और न कुछ मेरे।
ॐ जय डमरूधारी... (2)
काशी पुराधिपति, कैलाशी, तू ही लिंगेश्वर,
शिव, तू हीं लिंगेश्वर।
हे! शशिशेखर, हे! विश्वेश्वर, तू हीं परमेश्वर।
शिव, तू ही परमेश्वर।
ॐ जय डमरूधारी... (2)
सुखकर्ता दुःखहर्ता, तू जग पालन कर्ता,
शिव जग पालन करता।
तू ही अनीश्वर, हे! परमेश्वर, तू ही मेरा भर्ता।
शिव, तू ही मेरा भर्ता।
ॐ जय डमरूधारी... (2)
पंचानन, गरुणासन, शम्भू, हे! अंतर्यामी
शिव, हे! अंतर्यामी।
सनकादिक, भूतादिक तू जग का स्वामी,
शिव, जग का स्वामी।
ॐ जय डमरूधारी... (2)
रामकेश एम. यादव
(लेखक) मुम्बई।