पूर्व प्रधान के विरुद्ध युवाओं ने खोला मोर्चा
बरसात की पानी के निकासी के लिए नालियां नहीं थीं। वहीं रिकॉर्ड के मुताबिक 5 परिवारों जिनका अलग—अलग नाम से हैण्डपम्प रिपेयर रिबोर दिखाया गया था। उनकी सामूहिक एक ही हैंडपम्प मिली जिसकी मरम्मत भी चंदे से कराई जाती थी। गांव में जरूरतमंदों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिला था तथा जिनको मिला था, वह अपनी जगह किसी और को काम पर भेजते थे। इतना ही नहीं, पेंशन उठा रहे लोगों के लिस्ट के अनुरूप वह बेरोजगार आज भी काम की तलाश में हैंं। जाँच अधिकारियों ने मौके पर फर्जी जॉब कार्डधारकों के बयान भी दर्ज किये जिन्होंने इस फर्जीवाड़े को पूर्णतः स्वीकार किया और कहा कि मनरेगा के तहत 2500 रुपए खाते में आते हैं जिसमें प्रधान 2000 काटकर केवल उनको 500 रुपए देते थे। रतन सिंह ने प्रधान द्वारा अपने ही ईंट भट्टे से 60 लाख से अधिक की ईंट खरीदा। फर्जी कोरम बैठकों, फर्जी सिग्नेचर, मनमानी कोटेशन, फर्जी टेंडर प्रक्रिया, फर्जी परचेज बिल, हाई रेट बाइंग, नदारद स्टॉक इन्वेंटरी रजिस्टर, नो स्क्रैप पालिसी जैसे तमाम तकनीकी बिंन्दुओं पर अपना मजबूत साक्ष्य पेश किया। इतने बड़े खुलासे को लेकर जनता में आक्रोश है। जांच करने गई टीम को आरोप के अनुसार विकास कार्य नदारद मिले एवं घोटालों पर जनता ने मुहर लगायी। अब जनता जांच टीम से न्याय की उम्मीद लगाकर बैठी है एवं इतने बड़े खुलासे को उजागर करने के लिए ग्रामसभा खुज्झी की जनता रतन सिंह को धन्यवाद कर रही है लेकिन उनका कहना है कि अभी लड़ाई ख़तम नहीं, बल्कि शुरू हुई है। इतने तथ्यों को देने के बाद भी अगर सरकार या उच्चाधिकारियों द्वारा जांच और सही आख्या लगाकर यदि न्यायोचित कार्यवाही नहीं हुई तो हम सभी अपने गांव से दिल्ली तक का सफर लोकतांत्रिक ढंग पूरा करके न्याय गुहार करेंगे। सरकार को चेताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार जहां भष्टाचार मुक्त करने में लगी है, वहीं इस प्रकरण को भी अपने स्तर से गुप्त जांच एजेंसियों को नियुक्त कराये तो निश्चित रूप से दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। जनता भी सरकार की जय जयकार करने से पीछे नहीं रहेगी।