6 अगस्त को जौनपुर में होगा नामी - गिरामी लेखकों का समागम
डाॅ• श्रीवास्तव ने बताया कि 1936 में प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हुई थी , आज यह पचासी साल पुराना यह संगठन दुनिया में लेखकों का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है । भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के लगभग सभी देशों में इस संगठन और विचारधारा से प्रेरित लेखक मौजूद है । दौलत की इजारेदारी और समाज को रसम के दम पर अपने कब्जे में रखने वाली ताकतों के खिलाफ लेखक लामबंद होते रहे है । मुंशी प्रेमचंद , यशपाल , रेणु, फैज, नागार्जुन , मजरूह , मजाज , कैफी, वामिक जौनपुरी ,सरदार जाफरी के साथ रामविलास शर्मा , रांगेय राघव ,शमशेर जैसे महान रचनाकार इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है । डाॅ• श्रीवास्तव ने कहा यह तो हमारी विरासत है , मगर हमारा मौजूदा दौर भी लगातार ऐसे सक्रिय लेखकों एवं संस्कृत कर्मियों के साथ हमकदम है और समाज को बदलने की आकांक्षा के साथ आगे बढ़ रहा है ।इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए हमारे समय के विशिष्ट कथाकार एवं प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव प्रो.सुखदेव सिंह सिरसा, कार्यकारी अध्यक्ष विभूतिनारायण राय ,प्रसिद्ध कवि नरेश सक्सेना ,प्रसिद्ध रंग निर्देशक एवं इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश, प्रसिद्ध आलोचक वीरेन्द्र यादव,प्रो.अवधेश प्रधान, शकील सिद्दीकी,प्रो.शाहिना रिज़वी, प्रो.रघुवंशमणिजी, प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रो.राजकुमार, प्रो.आशीष त्रिपाठी,डा. बसंत त्रिपाठी,प्रो.आनंद शुक्ल, प्रो.सूरज बहादुर थापा,शहजाद रिज़वी, डा.खान अहमद फारूक, सुपरिचित कवयित्री संध्या नवोदिता, रूपम मिश्र, डा.वंदना चौबे, उर्दू कथाकार असरार गांधी, डा.कलीमुल हक़, डा.विजय शर्मा, प्रो.गोरखनाथ, प्रो.नीरज खरे, प्रो. प्रभाकर सिंह आदि सहित लगभग तीस - चालीस साहित्यकार जौनपुर के हिन्दी भवन में एकत्रित हो रहे हैं । इन्होंने अपने सम्मेलन की थीम 'संवैधानिक जनतंत्र की रक्षा में लेखक' नाम दिया है । दो सत्रों की संगोष्ठी, एकल अभिन, कविता पोस्टर की प्रदर्शनी और जनगीत के साथ सायं 7:30 पर कविता पाठ श्री नरेश सक्सेना , अख्तर सईद और श्रीप्रकाश शुक्ल की अध्यक्षता में होगा।