परीक्षकों की सूची सार्वजनिक न करने पर विवि की कार्यशैली पर उठा सवाल
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परीक्षकों की सूची न जारी करने को लेकर मची अफरा—तफरीजौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध जौनपुर और गाजीपुर के सभी महाविद्यालय में प्रायोगिक परीक्षा के लिए नामित किए गए परीक्षकों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई है जिसको लेकर विश्वविद्यालय के कार्यशैली पर ही अब सवाल उठने लगे हैं। दूसरी तरफ परीक्षकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि उन्हें किस महाविद्यालय में प्रायोगिक परीक्षा करानी है। विवि की तरफ से कॉलेज की लॉगिन आईडी पर परीक्षकों की सूची महाविद्यालय को भेजी गई है लेकिन इसकी जानकारी परीक्षक को नहीं है जिसमें महाविद्यालय अपने अनुसार परीक्षकों को बुलाएगा जिसके पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहा है।
जानकारी के अनुसार पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध जौनपुर और गाजीपुर के 554 कॉलेज को लेकर नियुक्त किए गए परीक्षकों के बीच असमंजस की स्थिति है। विवि की कार्यशैली और महाविद्यालय की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहा है कि विवि प्रशासन ने किसके दबाव में आकर पहले बनाए गए नियम में परिवर्तन करके परीक्षकों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है? विवि द्वारा बनाए गए नए नियम के अनुसार परीक्षकों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। वहीं विवि ने परीक्षकों की सूची को कॉलेज लॉगिन आईडी पर सीधा भेज दिया जिससे इसकी जानकारी परीक्षकों को नहीं हो पा रही है। जो सूची महाविद्यालय को भेजी गई है, उसमें परीक्षकों के मोबाइल नंबर भी अंकित किए गए हैं जिससे महाविद्यालय अपने अनुसार परीक्षकों को बुला सकेगा जबकि पूर्व के नियम के अनुसार सूची सार्वजनिक कर दी गई थी। इससे परीक्षक को आसानी थी कि वह किस कॉलेज पर जाकर परीक्षा करायेगा लेकिन विवि प्रशासन की तरफ से बनाए गए नियम को लेकर परीक्षकों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सूची न सार्वजनिक करने पर क्या पड़ेगा असर
विवि से संबद्ध कई कॉलेजों के प्रबंधकों से बातचीत करने पर लोगों ने बताया कि इसका असर सीधा छात्रों पर पड़ेगा। सूची जारी करने से पारदर्शिता बनी रहती थी लेकिन विवि की तरफ से सूची नहीं जारी की गई और नियम में बदलाव किया गया जिसकी कोई जानकारी भी विश्वविद्यालय ने परीक्षकों को नहीं दी। नए नियम के अनुसार कॉलेज अपनी मनमानी करेगा। कई कालेज परीक्षक को फोन नहीं करते हैं और न ही उन्हें बुआलयेंगे और विवि में अपनी साठ—गांठ से परीक्षकों के नंबर को बदलवाकर अपना नंबर का नंबर जुड़वा लेंगे और खुद के नंबर पर ओटीपी लेने के बाद अपने अनुसार छात्रों का प्रायोगिक अंक दे देंगे जिससे इसकी जानकारी नियुक्त किए गए परीक्षकों को भी नहीं होगी। किसे लेकर विवि की कार्यशैली और महाविद्यालय की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहा है कि आखिर किसके दबाव में विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसा किया है।
इस बाबत पूछे जाने पर बीएन सिंह परीक्षा नियंत्रक वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ने बताया कि परीक्षकों की सूची कॉलेज के लॉगिन आईडी पर भेज दी गई है। यदि सूची नहीं अपलोड की गई है तो इसकी जांच पड़ताल कर उचित कार्रवाई की जाएगी।