अर्थव्यस्था में जीईपी मापन से सतत विकास का लक्ष्य आसान: प्रो. पुरोहित
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जौनपुर।वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रबंध अध्ययन संकाय में व्यवसायिक अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित 'अर्थव्यवस्था के मापन' विषय द्विदिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करते हुए दून वि.वि. देहरादून के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के संकायाध्यक्ष प्रो. एच. सी. पुरोहित ने कहा कि आज प्रकृति द्वारा प्रदत्त निशुल्क पाँच मुख्य तत्त्वों जैसे आकाश, पृथ्वी, वायु, अग्नि और पानी का संरक्षण कर इनका उचित उपयोग करने की आवश्यकता है। इन तत्वों की निर्माण प्रक्रिया प्राकृतिक क्रियाओं पर आधारित है।इसकी निर्माण गति विदोहन गति से धीमी होती है। लगातार बढ़ता बाजारवाद और उपभोक्तावाद के दबाब से प्रकृति एवं प्राकृतिक संपत्ति को काफी नुकसान हो रहा है और इस प्रकार की आर्थिक नीति सतत विकास को प्रभावित कर रही है। इसलिए वर्तमान आवश्यकता है कि प्रकृति केंद्रित विकास की अवधारणा को भारतीय दर्शन से समन्वय स्थापित करते हुए विकास के मॉडल को आर्थिक गति देते हर वैश्विक स्तर पर ले जाना है।