ऊदा देवी के बलिदान को नहीं भुलाया जा सकता: कुलपति
https://www.shirazehind.com/2023/11/blog-post_586.html
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में वीरांगना ऊदा देवी के बलिदान दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विश्वकर्मा छात्रावास समीप ऊदा देवी और मक्का पासी मार्ग पर आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने वीरांगना ऊदा देवी को नमन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऊदा देवी ने जिस साहस का परिचय देते हुए अंग्रेजों का मुकाबला किया था वह कभी भुलाया नहीं जा सकता। विश्वविद्यालय में स्वतंत्रा संग्राम के शहीदों के नाम पर मार्ग का नाम पड़ा है इससे विद्यार्थी निरंतर उनके बलिदान से परिचित होते रहेंगे।
जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने ऊदा देवी के बलिदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वीरांगना ऊदा देवी आज की महिलाओं के लिए ऊर्जा की स्रोत है. पति की मृत्यु के बाद भी पुरे साहस से 1857 में सिकंदर बाग़ लखनऊ में पीपल के पेड़ पर चढ़कर 36 अगेजों को मौत के घाट उतार कर वीरगति को प्राप्त हुई थी. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका बलिदान स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है.
इस अवसर पर प्रो. मानस पांडेय, प्रो. संदीप सिंह, डॉ. गिरिधर मिश्र, डॉ. अमरेन्द्र सिंह, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. नितेश जायसवाल, डॉ. मनीष सिंह, डॉ. श्याम कन्हैया, डॉ. पुनीत धवन, डॉ. धर्मेन्द्र, डॉ. अमित वत्स, हिमांशु तिवारी, शशांक, अंकुश गौरव समेत अन्य उपस्थित रहे.
जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने ऊदा देवी के बलिदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वीरांगना ऊदा देवी आज की महिलाओं के लिए ऊर्जा की स्रोत है. पति की मृत्यु के बाद भी पुरे साहस से 1857 में सिकंदर बाग़ लखनऊ में पीपल के पेड़ पर चढ़कर 36 अगेजों को मौत के घाट उतार कर वीरगति को प्राप्त हुई थी. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका बलिदान स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है.
इस अवसर पर प्रो. मानस पांडेय, प्रो. संदीप सिंह, डॉ. गिरिधर मिश्र, डॉ. अमरेन्द्र सिंह, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. नितेश जायसवाल, डॉ. मनीष सिंह, डॉ. श्याम कन्हैया, डॉ. पुनीत धवन, डॉ. धर्मेन्द्र, डॉ. अमित वत्स, हिमांशु तिवारी, शशांक, अंकुश गौरव समेत अन्य उपस्थित रहे.