कर्तव्यनिष्ठा सरलता अपेक्षित हैं
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ज़िंदगी एक राज है जिसमें नजाने कितने उतार व चढ़ाव हैं,
चढ़ाव आया तो उड़ना आ गया,
उतार आया तो कुछ खोना पड़ा।
ज़िंदगी रात के उस ख़्वाब जैसी
जब टूट गया तो नींद उड़ गयी,
जब सपना सच में सच हो गया,
तो पूरी ज़िन्दगी ही सुधर गयी।
ज़िंदगी जब सुधरती है, विनम्रता
आ जाना भी स्वाभाविक होता है,
हाँ जीवन सुखमय हो जाता है तो
कभी कभी अहंकार बढ़ जाता है।
इसलिए सिर्फ़ उतना ही विनम्र
बनना है बस जितना ज़रूरी है,
वेवजह की विनम्रता दुसरों को
भी अहंकार का बढ़ावा देती है।
आदित्य विश्वास व ईमानदारी
ही इंसान की अमूल्य धरोहर हैं,
जीवन में उतार आये या चढ़ाव,
कर्तव्यनिष्ठा सरलता अपेक्षित हैं।
कर्नल आदिशंकर मिश्र
जनपद—लखनऊ।