भगवान के चरणों में जिसकी प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन्मुक्त है : जगतगुरु शंकराचार्य

 जौनपुर (जमालापुर पट्टी) : श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर श्री काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्दतीर्थ जी महाराज ने श्रद्धालु श्रोताओं को संबोधित करते हुए।भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। 

कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया।  महराज जी ने कहा कि नंदालय में गोपियों का तांता लगा रहता है। हर गोपी भगवान से प्रार्थना करती है कि किसी न किसी बहाने कन्हैया मेरे घर पधारें। जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन्मुक्त है। एक बार माखन चोरी करते समय मैया यशोदा आ गईं तो कन्हैया ने कहा कि मैया तुमने इतने मणिमय आभूषण पहना दिए हैं जिससे मेरे हाथ गर्म हो गए हैं तो माखन की हांडी में हाथ डालकर इन हाथों को शीतलता प्रदान कर रहा हूं। #_महराज जी ने कहा कि जब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत का पूजन करवाया तो इंद्र ने क्रोधित हो ब्रज मंडल में मूसलाधार वर्षा करवाई भगवान कृष्ण ने एक उंगली पर गिरिराज पर्वत उठाया और कहा आ जाओ गिरिराज की शरण में ऐसे ब्रज वासियों की रक्षा की।कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए महाराज जी ने दशम स्कंधगत महारास का वर्णन करते हुए बताया कि रास पंचाध्यायी भागवत के पंचप्राण हैं। रास पंचाध्यायी के पठन श्रवण से सहज ही वृंदावन की भक्ति प्राप्त हो जाती है। रासके दो स्वरूप नित्य और नैमित्तिक हैं नित्य आज भी वृंदावन में दर्शनीय होता है जो आज भी चल रहा है वृन्दावनम् परित्याज्य पादमेकम् न गच्छति, नित्य स्वरूप पल भर के लिए भी वृंदावन से बाहर नहीं जाता, रासलीला कामलीला ना होकर बल्कि काम पर विजय प्राप्त करने वाली लीला है। कृष्ण के दो रूप वह साकार है और निराकार भी है। साकार स्वरूप आज भी वृंदावन से बाहर नहीं जाता है महाराज जी ने आगे बताया भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा माली पर कृपा, रजक उद्धार कुब्जा अनुग्रह वर्णन करते हुए मामा कंस का वध किया, गोपी उद्धव संवाद की सुंदर व्याख्या का वर्णन किया, श्री कृष्णा अवंतिकापुरी विद्या अध्ययन करने गए और 64 दिन में 64 विद्याओं को ग्रहण किया गुरु दक्षिणा में गुरु पुत्र लाकर के दिया। विद्या अध्ययन के पश्चात द्वारकापुरी का निर्माण कराया और वहां के राजा द्वारकाधीश कहलाए द्वारका में भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणी जी के साथ विवाह किया महराज जी ने कहा कि सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं, जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को अनायास ही आकर्षित करती हैं। जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं पूज्य महराज जी ने बताया कि श्रीमदभागवत का अर्थ है भगवान में रत, लीन हो जाना। गोपी लीला वर्णन करते हुए उद्धव गोपी संवाद का रसास्वादन कराया। बताया कि गुरु से मिलने और मंदिर कभी खाली जाना नहीं जाना चाहिए। आचरण को निष्काम भाव से करते रहना चाहिए, अच्छे भक्त का यही लक्षण है। जौनपुर   में चल रहे कथा कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार  अमित सिंह, नारायण सिंह, अखिलेश तिवारी अकेला ,भीम सिंह तथा समस्त ग्रामवासी क्षेत्रवासी , नित्य प्रति श्रोताओं तथा विभिन्न स्थानों से आए हुए भक्तों में बड़ा उल्लास देखने को मिला ।दुर्गा माता मंदिर में  दर्शन भी बड़ी सुगमता से प्राप्त कर रहे हैं।

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