देशी घी की मिठाईयों से मोहभंग
प्रमोद जायसवाल
स्वादिष्ट मिठाईयां किसे नहीं सुहाती। अगर मिठाईयां देशी घी की बनी हो तो देखते ही मुंह में पानी भर आता है। इधर तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद (लड्डू) बनाने में प्रयोग किए जाने वाले देशी घी पर लगे आरोपों से हिन्दुओं की भावनाओं को गहरा आघात लगा है। आस्था पर भी गहरी चोट पहुंची है। तिरुपति में विवाद के बाद देशी घी से तैयार होने वाली सभी मिठाईयों की शुद्धता सवाल उठने लगे हैं। देशी घी की मिठाइयां खरीदने से लोग कतराने लगे हैं। देशी घी से बनी मिठाईयों से लोगों का मोहभंग होने लगा है।आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू ने जब यह आरोप लगाया कि पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने प्रसाद (लड्डू) में घटिया सामग्री और पशु वसा के इस्तेमाल की अनुमति दी थी तो सुनते ही सनातनी लोग सकते में आ गए। बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया। धर्म गुरुओं ने मामले की गहन जांच और इसमें शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। मामला तूल पकड़ते ही प्रत्येक देव स्थान पर देशी घी से बने प्रसाद की शुद्धता पर भी सवालों के घेरे में आ गई। इसके अलावा बाजार में देशी घी से बनी मिठाईयों की शुद्धता एवं गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे।
सस्ते के फेर में गुणवत्ता से खिलवाड़
छानबीन में यह तथ्य सामने आया कि तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद बनाने के लिए देशी घी की आपूर्ति हेतु जिस फर्म को ठेका दिया गया था उसने 320 रुपए किलो के हिसाब से वहां आपूर्ति किया था। यहां बात यह समझने की है कि महज 320 रुपए किलो की दर पर क्या शुद्ध देशी घी की आपूर्ति सम्भव है। मतलब साफ है कि सस्ता घी खरीदने के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता किया गया।
दुकानों पर बिकने वाली मिठाईयों की गुणवत्ता भी संदिग्ध
तिरुपति बालाजी मंदिर में अशुद्ध प्रसाद का मामला उजागर होने के बाद बाजारों में दुकानों पर बिकने वाली देशी घी से निर्मित मिठाईयों की गुणवत्ता भी संदिग्ध हो गई है। लोगों के जेहन में यह संदेह उत्पन्न हो गया है कि दुकानदार ने मिठाईयां बनाने में किस क्वालिटी का देशी घी इस्तेमाल किया है। कहीं यहां की मिठाईयों में भी उसी क्वालिटी का देशी घी तो नहीं प्रयोग किया गया है।
खोवे से बनी मिठाईयों की बिक्री बढ़ी
एक सर्वे से पता चला है कि देशी घी की शुद्धता पर सवाल उठने के बाद से खोवे से बनी मिठाईयों बर्फी, पेड़ा, रसगुल्ला आदि की बिक्री में इजाफा हुआ है। देशी घी से बनी मिठाईयां, नमकीन तथा अन्य सामग्री खरीदने से लोग कतराने लगे हैं। प्रसिद्ध इमरती की भी बिक्री घटी है। जिन देशी घी की मिठाईयों को लोग बहुत चाव से खाते थे उसे देखने से परहेज़ करने लगे हैं।
भगवान को भोग लगाने में झिझक
देव स्थानों पर अपने आराध्य देव को भोग लगाने के लिए श्रद्धालु लड्डू तथा अन्य मिष्ठान ले जाते हैं। बहुतायत लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार देशी घी से बनी मिठाईयां भगवान को भोग लगाने के लिए खरीदते हैं। अब देशी घी से बने लड्डू एवं अन्य मिठाईयों को भगवान को चढ़ाने से लोग झिझक रहे हैं। मन में यह शंका उत्पन्न हो गई है कि कहीं यह मिठाईयां भी तो अशुद्ध नहीं हैं।