कुल्लू में प्रदर्शित हुई जौनपुर के पंकज तिवारी की कलाकृति

मुंगराबादशाहपुर, जौनपुर। युवा कवि, कलाकार एवं कला समीक्षक पंकज तिवारी के कलाकृतियों का प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध स्थल कुल्लू के रोरिक कला दीर्घा में 23 मई को हुआ। ऋतस्य नामक इस विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन भारतीय क्यूरेटर सुरेश नड्डा तथा रूस की क्यूरेटर लरीसा वी सुर्गीना द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। प्रदर्शनी को देखने के लिए दीर्घा में भारतीय लोगों के साथ ही विदेशी पर्यटकों की भीड़ भी उमड़ रही है। प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न प्रांतों से कुल आठ कलाकारों के कार्य शामिल हैं।

जौनपुर के पंकज तिवारी के कलाकृतियों में गांव है। संस्कार, संस्कृतियों का विशाल फलक है। जीवन और मृत्यु के बीच का पूरा संसार है। रहस्यमय जीवन, संघर्षमय जीवन, खुशहाल जीवन, अच्छाइयां-बुराइयां सभी कुछ हैं जो निरंतर अलग-अलग कृतियों में प्रवाहित हैं। सही-गलत, अच्छा-बुरा, सुबह-शाम जैसे भावों को पटल पर रखने वाले कलाकार पंकज तिवारी के अधिकतर  कृतियों का शीर्षक भी हाफ लाइफ इन्हीं सब गुणों को देखकर रखा जाता जान पड़ता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक का पूरा सफर इनके कृतियों में नजर आ जाता है। अधिकतर गहरे रंगों का प्रयोग इनकी विशेषता है पर उससे भी बड़ी विशेषता उसी गहरे में से झांकते अंजोर को आतुर प्रकाश का भी प्रयोग है। गहरी, घनेरी और डरावनी रात के बाद सुबह की जो उम्मीद है वो इनके कृतियों में भी साथ झलकती है।
बनारस और शक्तिनगर से कलाशिक्षा प्राप्त पंकज आजकल दिल्ली में ही अपने सृजनशीलता के साथ रमे हुए हैं। कलाकृतियों के साथ पंकज कहानी, कविता, कला समीक्षा, फिल्म समीक्षा भी लिखते रहते हैं। गांव पर आधारित परिवेश को लेकर मुंबई के यशोभूमि और सामना में इनका स्तम्भ भी प्रकाशित होता रहता है जो बहुत ही प्रसिद्ध है। इनके लेखन में भी गांव ही बसता है। भाषा शैली गजब की होती है। छोटी उम्र से ही रचना धर्मिता के तरफ इनका झुकाव हो गया था। 11वीं कक्षा में ही इन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से प्रशस्ति पत्र प्राप्त हो चुका है उसके बाद से तो इनके सपनों में जैसे पंख लग गए हों और निरंतर सृजनात्मक कार्यों में संलग्न रहने लगे।
राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ, सहित गाजीपुर, बनारस, जयपुर, कानपुर सहित तमाम छोटी-बड़ी प्रदर्शनियों में इनके चित्र प्रदर्शित होते रहे हैं। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित पुराना किला पर भी कैम्प में इनकी सहभागिता रह चुकी है। एस.सी.ई.आर.टी. नई दिल्ली के तरफ से आयोजित रंग-तरंग कैंप में भी पंकज की सहभागिता होती रही है। आइफेक्स में भी इनका वर्क प्रदर्शित हो चुका है। अभी हाल ही में 'एसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया' गीत बहुत ही पसंद किया गया‌। गीत शुद्ध अवधी में लिखा हुआ है।

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