दुर्गा पूजा महासमिति ने सेवा और आस्था को जोड़ा रक्तदान से
"रक्तदान में बसता है धर्म का सार"
जौनपुर। सेवा ही सच्चा धर्म है — इस विचार को साकार करते हुए श्री दुर्गा पूजा महासमिति, जौनपुर ने विश्व रक्तदाता दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को एक वृहद रक्तदान शिविर का आयोजन किया। यह शिविर आईएमए ब्लड बैंक में आयोजित हुआ, जहाँ समाजसेवा और आस्था का एक अद्भुत संगम देखने को मिला।
इस पुण्य अवसर पर महासमिति के पदाधिकारी, उनके परिवारजन और शुभचिंतकों ने मिलकर कुल 41 यूनिट रक्त का दान किया। हर रक्तदाता ने न सिर्फ किसी ज़रूरतमंद को जीवन देने का संकल्प लिया, बल्कि माँ दुर्गा के चरणों में सेवा का अर्पण भी किया।
आस्था से प्रेरित समाजसेवा
कार्यक्रम के दौरान महासमिति के संरक्षक राधे कृष्ण ओझा, पूर्व अध्यक्ष मोतीलाल यादव, विजय सिंह बागी और अनिल अस्थाना ने सभी रक्तदाताओं को अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया। यह सम्मान न केवल उनके योगदान को पहचान देने का कार्य था, बल्कि सेवा को सम्मान देने की भारतीय परंपरा को जीवंत करता रहा।
"एक यूनिट रक्त, चार ज़िंदगियों की रौशनी"
महासमिति के अध्यक्ष मनीष देव ने कहा, “हमारा यह छोटा-सा प्रयास किसी की ज़िंदगी का सबसे बड़ा सहारा बन सकता है। एक यूनिट रक्त से चार लोगों को जीवनदान मिल सकता है — यही सच्ची पूजा और धर्म है।” उन्होंने रक्तदान को "महादान" बताते हुए समाज के हर वर्ग से इसमें सहभागी बनने की अपील की।
व्यापक भागीदारी, संगठनों का सहयोग
इस आयोजन में महासमिति के विशिष्ट सदस्य अनिल साहू के साथ प्रबंधकारिणी के सदस्य राम रतन विश्वकर्मा, रत्नेश सिंह, विश्व प्रकाश श्रीवास्तव, विजय गुप्ता, राजन अग्रहरि, आशीष त्रिपाठी, संदीप जायसवाल, रत्न मौर्य, उदय मौर्य, कृष्ण कुमार, रानी अग्रहरि, प्रीति सिन्हा, रोहित सिन्हा, लालता सोनकर, विष्णु गुप्ता सहित कई सदस्य मौजूद रहे।
सहयोगी संस्थाओं — नव दुर्गा शिव मंदिर ट्रस्ट, देव दीपावली समिति तथा लायन्स क्लब जौनपुर सूरज ने इस आयोजन को और भी व्यापक व प्रभावशाली बना दिया। इनके सदस्य अमित गुप्ता, अजय गुप्ता, संतोष साहू बच्चा, विकास साहू, अमित साहू, प्रिन्स तनेजा, यश गुप्ता और कृष्ण कुमार ने भी रक्तदान कर इस नेक कार्य को सार्थक बनाया।
समाजसेवा की परंपरा आगे भी जारी रहेगी
शिविर के अंत में महासचिव मनीष गुप्ता ने सभी रक्तदाताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्गा पूजा महासमिति समाज की आवश्यकता के अनुरूप भविष्य में भी इस प्रकार के सेवा कार्य करती रहेगी।” उन्होंने विश्वास जताया कि जौनपुर की यह परंपरा अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा बनेगी।
यह आयोजन केवल रक्तदान का शिविर नहीं था — यह धर्म, सेवा और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की एक जीवंत मिसाल थी, जहाँ आस्था ने समाजसेवा का हाथ थामा और जौनपुर की धरती फिर एक बार पुण्य भूमि बन गई।