जाति के नाम पर अपमान की आग अब ठण्डी नहीं पड़ रही
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यादव महासभा ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को सम्बोधित मांगों का ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा
जौनपुर। इटावा की घटना अब सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं रही। यह उस भारत की तस्वीर बन गई है जिसे हम संविधान से जोड़कर देखने की कोशिश करते हैं। जहां किताबों में बराबरी है लेकिन जमीन पर नाक रगड़वाई जाती है। जहां व्यास गद्दी पर बैठने से पहले आपकी जाति पूछी जाती है, ज्ञान नहीं। इसी जातीय अपमान के विरोध में मंगलवार को अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि संविधान से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता और अगर धर्म के नाम पर किसी की चोटी काटी जाती है। किसी से जबरन कसम खिलवाई जाती है तो यह सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ बगावत है। ज्ञापन देने आये महासभा के पदाधिकारियों ने कहा कि यह सिर्फ मुकुटमणि यादव का अपमान नहीं है, बल्कि यह पूरे यादव और पिछड़े समाज की आत्मा पर हमला है। देश के संविधान में जो समानता लिखी है, उसे कुछ लोग जमीन पर मिटा देना चाहते हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे।इसी क्रम में महासभा के प्रदेश महासचिव कमलेश यादव ने कहा कि देश संविधान से चलता है। देश का संविधान सभी नागरिकों को समान अवसर, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। आज़ाद भारत में ऐसी घृणापूर्ण एवं जातीय द्वेष से प्रेरित घटनाएं होना देश की एकता व अखंडता के साथ खिलवाड़ है। इस घटना से पूरे यादव समाज के साथ ही ओबीसी, एसटी, एससी के लोग अपने को बहुत ही अपमानित महसूस कर रहे हैं।
इस अवसर पर जिला महासचिव धर्मेन्द्र यादव, पूर्व कोषाध्यक्ष संजय यादव, एमडी यादव, राजमणि यादव, विजय यादव, बच्चू लाल यादव, उधम सिंह यादव, राजू यादव प्रधान, संजय यादव, अशोक यादव, राहुल यादव, कन्हैया लाल यादव, महावीर यादव एडवोकेट, हीरामणि यादव एडवोकेट, पवन, अमरनाथ, विनोद, मिथलेश, रवि प्रभात, राज, विकास, सुशील, विजय, डॉ विजय, शैलेश एड, गौतम, शिवशंकर सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।