जौनपुर भाजपा में वर्चस्व की जंग , खाटी और आयातित नेताओं के बीच दिखने लगी गुटबाजी

 लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ी खेमेबाजी, शक्ति प्रदर्शन के जरिए हो रहा रस्साकसी का खेल

जौनपुर। लोकसभा चुनाव के बाद जिले की सियासत शांत नहीं हुई है। चुनावी शोर थमने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर खेमेबाजी का नया अध्याय शुरू हो गया है। अब जंग है पार्टी में अपनी राजनीतिक हैसियत और वर्चस्व साबित करने की — वो भी कार्यक्रमों के ज़रिए शक्ति प्रदर्शन कर। यह रस्साकशी भाजपा के पुराने खांटी नेताओं और हाल के वर्षों में अन्य दलों से आए नेताओं के बीच चल रही है।

पार्टी के भीतर इसे लेकर चर्चा आम है कि अब लड़ाई असली बनाम नकली भगवाधारी की बन गई है। एक तरफ वे लोग हैं, जो वर्षों से पार्टी की विचारधारा, संगठन और ज़मीनी संघर्ष से जुड़े रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ हैं वे नेता, जो दूसरे दलों से भाजपा में आए हैं और अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का नज़दीकी बताकर खुद को सबसे आगे साबित करने की कोशिश में हैं।

खेमे अलग, कार्यक्रम अलग

भाजपा के भीतर इस समय दो गुट साफ तौर पर देखे जा सकते हैं।

  • खांटी भाजपा नेताओं द्वारा आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में पार्टी के पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं की भारी भागीदारी देखने को मिल रही है। इनमें कार्यकर्ताओं की उत्साहपूर्ण मौजूदगी से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि जड़ें अब भी इन्हीं के पास हैं।
  • इसके उलट दूसरे दलों से आए नेताजी के आयोजनों में उनके पुराने साथी, रिश्तेदार और कुछ पदाधिकारी ही दिखाई दे रहे हैं। अधिकतर पदाधिकारी ऐसे कार्यक्रमों में केवल संगठनात्मक औपचारिकता निभाने के लिए शामिल हो रहे हैं, न कि किसी राजनीतिक निष्ठा के तहत।

असली-नकली की बहस

भाजपा के ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच अब यह सवाल चर्चा में है कि “असली भाजपा नेता कौन?

  • क्या वो, जो दशकों से पार्टी के लिए जूझते रहे हैं, बिना किसी पद के भी निष्ठा से जुड़े हैं?
  • या फिर वो, जो चुनावों के पहले राजनीतिक परिस्थितियों को भांपते हुए भाजपा में शामिल हुए और आज खुद को संगठन का चेहरा मानते हैं?

अगर यही स्थिति बनी रही तो भाजपा को आने वाले पंचायत चुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों में इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

संभावित असर:
यह अंदरूनी लड़ाई सिर्फ पद और प्रतिष्ठा की नहीं, बल्कि पार्टी के भावी नेतृत्व और दिशा तय करने की होड़ है। यदि समय रहते संगठन ने पहल नहीं की, तो यह खेमेबाज़ी न सिर्फ पार्टी की एकजुटता को प्रभावित करेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर जनाधार भी खिसक सकता है


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  1. जौनपुर में भाजपा की स्थिति भयावह है . इस स्थिति के लिए शीर्ष नेतृत्व ही जिम्मेदार है

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  2. Yah isthti lags bhag sabhi jile ka hai

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