विद्यालय मर्जर के विरोध में शिक्षकों ने जनप्रतिनिधियो के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जौनपुर इकाई ने मर्जर नीति को बताया शिक्षा विरोधी, जनहित में पुनर्विचार की मांग
जौनपुर। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, शाखा जौनपुर द्वारा प्रदेश सरकार की विद्यालय पेयरिंग/मर्जर नीति के खिलाफ मुखर विरोध दर्ज करते हुए शनिवार को जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। शिक्षक नेताओं ने सरकार के इस निर्णय को गरीब व ग्रामीण छात्रों के भविष्य के लिए घातक बताया और मांग की कि इस नीति पर पुनर्विचार कर तत्काल प्रभाव से इसे स्थगित किया जाए।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय की अगुवाई में जौनपुर जनपद के संयोजक संजय कुमार सिंह (सिरकोनी), सह संयोजक साजेश सिंह, कमलेश कुमार सिंह व सत्य प्रकाश मिश्र समेत संघ के अन्य पदाधिकारियों ने यह ज्ञापन जनप्रतिनिधियों को सौंपा।
जनप्रतिनिधियों को सौंपा गया ज्ञापन
ज्ञापन प्राप्त करने वालों में
- जौनपुर सांसद बाबूसिंह कुशवाहा,
- युवा खेल व कल्याण राज्य मंत्री गिरीश चंद्र यादव,
- मल्हनी विधायक लकी यादव,
- पूर्व विधायक, जफराबाद डॉ. हरेंद्र प्रसाद सिंह शामिल रहे।
शिक्षक नेताओं ने प्रतिनिधियों को अवगत कराया कि विद्यालय पेयरिंग/मर्जर योजना असमान दूरी, संसाधनहीनता और छात्रों की घटती उपस्थिति जैसी समस्याओं को और गंभीर बनाएगी। इससे शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या बढ़ेगी और सरकार का 'सबको शिक्षा' का संकल्प कमजोर पड़ेगा।
शिक्षकों ने जताई एकजुटता
ज्ञापन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षक व पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से –
शैलेन्द्र सिंह गैरवाह, श्रीपाल यादव, दिनेश यादव, विवेक सिंह, रूद्रसेन सिंह, बृजेश सिंह, संजीव मिश्र, करमजीत प्रसाद, शोभनाथ यादव, मुन्ना यादव, अरविंद पाल, नीलेश केसरवानी, पूजा राणा, भानु गौतम, रीतू प्रिया, नीलम केसरवानी, शैलेन्द्र पाल, शिवशंकर मौर्य, जटाशंकर, दुर्गा यादव, राजेश यादव, राजेश सिंह, विवेक तिवारी, चंद्रशेखर सहित अन्य अनेक शिक्षक शामिल रहे।
‘शिक्षा बचाओ’ की मुहिम तेज
संघ की ओर से साफ शब्दों में कहा गया कि यदि सरकार द्वारा जल्दबाजी में लिए गए इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो पूरे प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। संघ का मानना है कि सरकार की इस नीति से बच्चों का हित प्रभावित होगा और शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
सद्भाव और समाधान की उम्मीद
ज्ञापन सौंपने के दौरान मौजूद सभी शिक्षकों ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे छात्रों की शिक्षा, शिक्षक की गरिमा और ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए इस विषय को मुख्यमंत्री स्तर पर प्रभावी ढंग से उठाएं।
यह विरोध केवल एक संगठन की बात नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को जमीनी हकीकत के साथ चलाने की ज़रूरत की पुकार है। शिक्षकों को उम्मीद है कि सरकार इस संवेदनशील विषय पर गंभीरता से विचार करेगी और शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए जनहित में उचित निर्णय लेगी।