अब्बास का मातम है, वफादार का मातम..........
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अब्बास जैसा भाई कोई दूसरा नहीं: डॉ.कल्बे रज़्ाा
आठ मोहर्रम का निकला ऐतिहासिक जुलूस, हुई मजलिस
नगर सहित ग्रामीण इलाकों में निकला जुलजनाह अलम व ताबूत
नगर सहित ग्रामीण इलाकों में निकला जुलजनाह अलम व ताबूत
अपने नाना का दीने इस्लाम बचाने के लिए मैदान में जाना है।
इमाम हुसैन ने जंग के दौरान हजारों यजीदी फौजों को हलाक किया तभी आकाशवाणी हुई कि ऐ नफ्से मुतमइना पलट आ अपने रब की तरफ मैं तुझसे राजी और तू मुझसे राजी। ये आकाशवाणी सुनकर जैसे ही इमाम हुसैन ने तलवार को अपनी मियान में रखा यजीदी फौजों ने उन्हें घेर कर हमला किया और शहीद कर दिया। जिसके बाद अंजुमन हुसैनिया बलुआघाट के नेतृत्व में शबीहे अलम जुलजनाह और गहवारे अली असगर बरामद हुआ। साथ ही नगर की 20 से ज्यादा मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम करने लगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ अटाला मस्जिद तक पहुँचा यहां इमामबाड़ा शेख इल्ताफ हुसैन से तुर्बत को निकालकर गहवारे अली असगर व जुलजनाह से मिलाया गया। इस मिलन को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलकने लगा। जुलूस पुन: इमामबाड़ा नाजिम अली खां में जाकर समाप्त हुआ।
जुलूस में हज़ारों अजादार मौजूद थे। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारी, शहर कोतवाल मिथिलेश मिश्रा अपने पुलिस बल के साथ तैनात रहे। वहीं सातवीं मुहर्रम की देर रात्रि नगर के सिलेखाना स्थित मेंहदी का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्ते से होता हुआ इमामबाड़े पहुंचा जहां शबीहों को एक दूसरे से मिलाया गया। इस दर्दनाक मंजर को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलक उठे। संचालन मेंहदी रजा एडवोकेट ने किया। वहीं बलुआघाट स्थित मेंहदी वाली जमीन पर देर रात्रि मजलिस को मौलाना मुबाशिर ने खिताब किया जिसके बाद अंजुमन हुसैनिया के नेतृत्व में मेंहदी अलम व दुलदुल का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्तों से होता हुआ शाही किला पहुंचा यहां मौलाना की तकरीर के बाद मीर जामिन अली मरहूम इमामबाड़े से तुरबत निकालकर मिलन हुआ। जुलूस इमामबाड़ा मद्दू में जाकर समाप्त हुआ।
एडीजी ने किया नौहा मातम
जौनपुर। आठवीं मोहर्रम के ऐतिहासिक जुलूस में शामिल होने के लिए बिहार कैडर के एडीजी नैय्यर हसनैन खान भी अपने पैतृक आवास पर पहुंचे। मजलिस में शामिल होने के बाद जुलूस में उन्होंने नौहा मातम किया। नय्यर हसनैन खान के पिता ज़फरुल हसन खान यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी थे, इस ऐतिहासिक इमामबाड़ा न से यह जुलूस 250 वर्षों से ज्यादा समय से उठाया जाता रहा है, इसमें प्रदेश के कोने-कोने से अज़ादार ज़ियारत के लिए आते हैं।
इमाम हुसैन ने जंग के दौरान हजारों यजीदी फौजों को हलाक किया तभी आकाशवाणी हुई कि ऐ नफ्से मुतमइना पलट आ अपने रब की तरफ मैं तुझसे राजी और तू मुझसे राजी। ये आकाशवाणी सुनकर जैसे ही इमाम हुसैन ने तलवार को अपनी मियान में रखा यजीदी फौजों ने उन्हें घेर कर हमला किया और शहीद कर दिया। जिसके बाद अंजुमन हुसैनिया बलुआघाट के नेतृत्व में शबीहे अलम जुलजनाह और गहवारे अली असगर बरामद हुआ। साथ ही नगर की 20 से ज्यादा मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम करने लगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ अटाला मस्जिद तक पहुँचा यहां इमामबाड़ा शेख इल्ताफ हुसैन से तुर्बत को निकालकर गहवारे अली असगर व जुलजनाह से मिलाया गया। इस मिलन को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलकने लगा। जुलूस पुन: इमामबाड़ा नाजिम अली खां में जाकर समाप्त हुआ।
जुलूस में हज़ारों अजादार मौजूद थे। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारी, शहर कोतवाल मिथिलेश मिश्रा अपने पुलिस बल के साथ तैनात रहे। वहीं सातवीं मुहर्रम की देर रात्रि नगर के सिलेखाना स्थित मेंहदी का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्ते से होता हुआ इमामबाड़े पहुंचा जहां शबीहों को एक दूसरे से मिलाया गया। इस दर्दनाक मंजर को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलक उठे। संचालन मेंहदी रजा एडवोकेट ने किया। वहीं बलुआघाट स्थित मेंहदी वाली जमीन पर देर रात्रि मजलिस को मौलाना मुबाशिर ने खिताब किया जिसके बाद अंजुमन हुसैनिया के नेतृत्व में मेंहदी अलम व दुलदुल का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्तों से होता हुआ शाही किला पहुंचा यहां मौलाना की तकरीर के बाद मीर जामिन अली मरहूम इमामबाड़े से तुरबत निकालकर मिलन हुआ। जुलूस इमामबाड़ा मद्दू में जाकर समाप्त हुआ।
एडीजी ने किया नौहा मातम
जौनपुर। आठवीं मोहर्रम के ऐतिहासिक जुलूस में शामिल होने के लिए बिहार कैडर के एडीजी नैय्यर हसनैन खान भी अपने पैतृक आवास पर पहुंचे। मजलिस में शामिल होने के बाद जुलूस में उन्होंने नौहा मातम किया। नय्यर हसनैन खान के पिता ज़फरुल हसन खान यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी थे, इस ऐतिहासिक इमामबाड़ा न से यह जुलूस 250 वर्षों से ज्यादा समय से उठाया जाता रहा है, इसमें प्रदेश के कोने-कोने से अज़ादार ज़ियारत के लिए आते हैं।
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