#मधुशाला_नहीं_पाठशाला_दो के नारों से गूंजा ट्विटर, शिक्षकों ने छेड़ा शिक्षा बचाओ आंदोलन

जौनपुर। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (एकीकरण) योजना के विरोध में शिक्षकों और अभिभावकों का आक्रोश अब सोशल मीडिया के माध्यम से तेज़ी से सामने आ रहा है। रविवार को जिले के शिक्षकों ने पुनः एक संगठित ट्विटर अभियान चलाया, जिसका नारा था — #मधुशाला_नहीं_पाठशाला_दो। यह अभियान पूरे दिन सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा और देखते ही देखते राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।

ढाई लाख से अधिक लोगों की भागीदारी
जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला ने बताया कि इस अभियान में ढाई लाख से अधिक शिक्षक, अभिभावक, जागरूक नागरिक और शिक्षा प्रेमियों ने हिस्सा लिया। लोगों ने ट्वीट और रिट्वीट के ज़रिए स्कूल मर्जर के खिलाफ अपनी बात को मुखरता से रखा। शिक्षकों ने पोस्टर, वीडियो संदेश, स्लोगन और ग्राफिक्स के ज़रिए सरकार से यह मांग की कि गांव के बच्चों को शिक्षा से दूर करने वाली किसी भी योजना को तत्काल रोका जाए।

गांव-गांव की आवाज बनता जा रहा है आंदोलन
यह ट्विटर अभियान केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह गांव-गांव में शिक्षा बचाओ आंदोलन के रूप में उभरता दिख रहा है। शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों के एकीकरण से दूरदराज़ के गांवों के बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे उनकी उपस्थिति कम होगी, पढ़ाई में रुकावट आएगी और स्कूल ड्रॉपआउट की संख्या में इज़ाफा होगा।

शिक्षकों ने कही ये बातें:

जिला अध्यक्ष अरविंद शुक्ला ने कहा—

"हम शिक्षक केवल अपनी सेवा की बात नहीं कर रहे, हम गांव के हर उस बच्चे की शिक्षा की बात कर रहे हैं जो साइकिल से भी दूर किसी विद्यालय तक नहीं पहुंच सकता। मर्जर का निर्णय बच्चे के अधिकार और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।"

सोशल मीडिया पर ऐसे गूंजीं आवाज़ें:

  • "बच्चे को स्कूल चाहिए, ठेके की दुकान नहीं!"
  • "जहां पुस्तक नहीं पहुंचती, वहां भविष्य नहीं बनता!"
  • "गांव-गांव पाठशाला हो, तभी समग्र विकास होगा!"

शिक्षकों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  1. ग्रामीण विद्यालयों का मर्जर तत्काल रोका जाए।
  2. शिक्षा को सुलभ, सस्ती और समान रूप से सभी तक पहुँचाया जाए।
  3. विद्यालयों की छात्र संख्या बढ़ाने हेतु स्थानीय प्रशासन, ग्राम पंचायत और समाज को मिलाकर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए।

राजनीति से दूर, बच्चों के हक़ की बात
शिक्षकों का यह भी कहना है कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल के विरोध या समर्थन में नहीं है, बल्कि पूरी तरह शिक्षा और बच्चों के भविष्य को केंद्र में रखकर चलाया जा रहा है।


यह स्पष्ट है कि गांव-गांव में शिक्षा को लेकर एक नयी चेतना जाग रही है। #मधुशाला_नहीं_पाठशाला_दो जैसे अभियान अब केवल सोशल मीडिया मुहिम नहीं, बल्कि शिक्षा के अधिकार की पुकार बन चुके हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस सामाजिक और जनसरोकार से जुड़े मुद्दे को किस रूप में लेती है।


Related

न्यूज़ 5333595637846728211

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item