अधिकारियों से न्याय नहीं मिला तो इंसाफ के लिए मंदिर-मंदिर भटक रहा हरिशंकर
साइकिल से 5000 किमी की यात्रा पर निकला
जौनपुर। जिले के मछलीशहर कोतवाली क्षेत्र के सरायबिका गांव निवासी हरिशंकर आज भी अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है—लेकिन अब अदालतों में नहीं, बल्कि भगवान के दरबारों में। सरकारी तंत्र और न्याय व्यवस्था से निराश होकर उसने न्याय की उम्मीद अब देवालयों से लगाई है।हरिशंकर की पीड़ा सिर्फ ज़मीन के टुकड़े की नहीं, बल्कि सिस्टम से मिले धोखे की कहानी है। पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने वाले रिश्तेदारों के खिलाफ 2010 से 2013 तक उसने थाने से लेकर तहसील, डीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक फरियाद की, लेकिन न तो जमीन मिली और न ही इंसाफ। उल्टे उस पर आत्मदाह का आरोप लगाकर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया।
अब हरिशंकर ने 'धरती के भगवानों' की अदालत से उम्मीद छोड़कर 'ऊपरवाले' की चौखट पर अर्जी लगानी शुरू की है। बीते 17 जून से उसने मध्यप्रदेश के इंदौर जिले स्थित कुबेरश्वर धाम से साइकिल यात्रा शुरू की है। यह यात्रा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश होते हुए राजस्थान के प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी धाम तक जाएगी।
करीब 5000 किलोमीटर लंबी यह आस्था-यात्रा कई राज्यों के प्रसिद्ध देवी-देवताओं के मंदिरों से होकर गुजरेगी। हरिशंकर हर मंदिर पर अपने दुखों की अर्जी लेकर मत्था टेक रहा है, मानो अब न्याय सिर्फ भगवान ही दिला सकते हैं।
यात्रा का प्रमुख पड़ाव इस प्रकार है:
🔸 मध्यप्रदेश – कुबेरश्वर धाम (सीहोर), बिरला मंदिर (भोपाल), भीम बैठका, बागेश्वर धाम (छतरपुर), महाकालेश्वर धाम (उज्जैन)
🔸 उत्तर प्रदेश – चित्रकूट धाम, प्रयागराज संगम, विंध्याचल धाम, काशी विश्वनाथ, चौकिया धाम (जौनपुर), अयोध्या धाम, लखनऊ के भूतनाथ व दुर्गा माता मंदिर, मथुरा-वृंदावन परिक्रमा
🔸 राजस्थान – खाटू श्यामजी, भादवा माता, सांवरिया सेठ और अंतिम पड़ाव मेहंदीपुर बालाजी धाम
हरिशंकर की इस साइकिल यात्रा को कोई राजनीतिक रंग नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह नारा नहीं, एक आह है – जो अब मंदिर की घंटियों में गूंज रही है। अपनी न्याय यात्रा को वह "ईश्वर के दरबार में अंतिम अपील" मानता है।
"जब धरती पर इंसाफ न मिले, तो भगवान की अदालत ही आख़िरी उम्मीद होती है," – हरिशंकर