जौनपुर में अवैध अस्पतालों का काला कारोबार — मरीजों की जेब पर डाका, बिजली विभाग को करोड़ों का चुना!
जौनपुर। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर चल रहे अवैध अस्पताल अब दोहरी मार कर रहे हैं। एक तरफ भोले-भाले मरीजों को लूटकर उनकी जेब खाली की जा रही है, तो दूसरी ओर बिजली विभाग को भी करोड़ों का चुना लगाया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा आम जनता भुगत रही है, जिन्हें आये दिन ट्रांसफार्मर जलने और घंटों बिजली गुल रहने की समस्या झेलनी पड़ रही है।
सबसे अधिक त्रासदी नईगंज इलाके में देखने को मिल रही है। यहां गली-गली में अस्पताल खुले हैं, जिनमें से आधे से अधिक बिना रजिस्ट्रेशन के धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, एक्सरे और अन्य हाई-टेक मशीनों के नाम पर यहां बिजली की खपत तो हजारों यूनिट की होती है, लेकिन संचालकों ने नाम मात्र के कनेक्शन ले रखे हैं। किसी ने 2 किलोवाट का तो किसी ने 5 किलोवाट का कनेक्शन लिया है, जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक इन अस्पतालों का असली लोड 30 से 40 किलोवाट तक है।
जिसके कारण
- ट्रांसफार्मर आए दिन फुंक जा रहे हैं।
- स्थानीय मोहल्ले के लोग अंधेरे में जीने को मजबूर हैं।
- बिजली चोरी का असली खेल अस्पतालों में होता है, लेकिन दबाव साधारण उपभोक्ताओं पर बनाया जाता है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब भी यह मामला अधिकारियों तक पहुंचता है और वसूली टीम निकलती है, तो वे अस्पतालों में घुसने की बजाय सीधे आम जनता के घरों पर धावा बोल देती है। जहां चोरी तो नहीं मिलती, केवल कुछ बकाएदार उपभोक्ता मिलते हैं। ऐसे लोगों से जबरन वसूली कर विभाग अपनी खानापूर्ति कर लेता है।
नईगंज की शांति बिहार कॉलोनी निवासी अनुज विक्रम सिंह ने इस बड़े घोटाले की लिखित शिकायत जिले के आला अधिकारियों से लेकर एमडी शक्ति भवन लखनऊ तक की। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अब बड़ा सवाल यह है कि— आखिर इन अवैध अस्पतालों को किसकी शह पर संरक्षण मिल रहा है? बिजली विभाग के बड़े अफसर क्यों आंख मूंदे बैठे हैं? आम जनता कब तक भ्रष्टाचार और बिजली चोरी का बोझ ढोती रहेगी?