टीचर की दर्दनाक मौत से फूटा जनाक्रोश,“आख़िर कब जागेगा प्रशासन…?”

 

जौनपुर। गुरुवार की सुबह शहर के लिए एक मनहूस खबर लेकर आई। प्रतिबंधित चाइनीज़ मांझे की चपेट में आकर एक शिक्षक की मौत हो गई—वह भी अपनी नन्ही बेटी को स्कूल छोड़कर लौटते वक्त। इस दर्दनाक घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। सोशल मीडिया से लेकर चौराहों तक हर जगह सिर्फ एक ही चर्चा “आख़िर कब जागेगा प्रशासन…?

नगर के शास्त्री ब्रिज (नये पुल) पर सुबह करीब 8 बजे 40 वर्षीय प्राइवेट शिक्षक संदीप तिवारी, निवासी उमरपुर हरिबंधनपुर, अपनी दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बेटी मन्नत को स्कूल छोड़कर घर लौट रहे थे। लेकिन घर पहुंचने से पहले ही रास्ते में मौत खड़ी थी। पुल पर लटक रहे चाइनीज़ मांझे ने रफ्तार से उनके गले पर वार किया। मांझे की धार इतनी खतरनाक थी कि उनका गला गहराई तक कट गया। संदीप वहीं सड़क पर गिर पड़े तड़पते हुए, दर्द से कराहते हुए। स्थानीय लोग दौड़े, एंबुलेंस बुलाई, जिला अस्पताल पहुंचाया… लेकिन किस्मत ने साथ छोड़ दिया। डॉक्टरों ने इलाज के दौरान संदीप को मृत घोषित कर दिया। 

जैसे ही यह खबर घर पहुंची, परिवार में मातम की चीखें गूंज उठीं। बेटी मन्नत और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है घर का सहारा पल भर में छिन गया। प्रतिबंधित चाइनीज़ मांझा शहर में खुलेआम बिक रहा है। प्रशासनिक कार्रवाई सिर्फ कागजों में दिखती है, धरातल पर नहीं। लोग कह रहे हैं “कितनी जानें जाएंगी तब जाकर कार्रवाई होगी?” “हर साल खून से सना धागा बेचने वालों पर आखिर कब होगी सख्ती?” जिलेभर में गुस्सा उबाल पर है। 

लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रशासन को जमकर घेरा। कई ने लिखा “यह हादसा नहीं, प्रशासनिक लापरवाही से हुई हत्या है।”  दर्दनाक हादसे के बाद आखिरकार सिटी मजिस्ट्रेट इंद्र नन्दन ने कल से चाइनीज़ मांझा बेचने वालों पर विशेष अभियान चलाने का आदेश जारी किया है। सवाल यह है कि क्या यह कदम एक और मौत के बाद ही उठना था? 

 उधर राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी ने अपने फेस बुक पर भी गहरा शोक व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन से कठोरतम कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसे घातक मांझे बेचने वालों पर सख्त दंड तय होना चाहिए ताकि आगे कोई और परिवार अपना सहारा न खोए। 

 आज शहर कह रहा है कि “चाइनीज़ मांझे पर पूरी तरह रोक लगे।” “दुकानदारों पर तुरंत कार्रवाई हो।” “प्रशासन दोषियों को बचाने के बजाय सख्ती दिखाए।” संदीप तिवारी की मौत ने जौनपुर की आत्मा को भीतर तक झकझोर दिया है। सवाल सिर्फ इतना है कि क्या प्रशासन जागेगा या अगले हादसे का इंतज़ार करेगा?

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