रामघाट अंत्येष्टि स्थल पर लकड़ी कारोबारियों का कब्जा, दाह संस्कार के लिए जगह होती जा रही कम
https://www.shirazehind.com/2025/12/blog-post_728.html
जौनपुर। नगर के ऐतिहासिक एवं अति महत्वपूर्ण रामघाट अंत्येष्टि स्थल पर लकड़ी के कारोबारियों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण ने एक गंभीर मानवीय और सामाजिक समस्या को जन्म दे दिया है। स्थिति यह है कि शवदाह के लिए निर्धारित स्थल पर अब लकड़ियों का अंबार लगा दिया गया है, जिससे दाह संस्कार की जगह लगातार सिकुड़ती जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ लकड़ी कारोबारी लंबे समय से शवदाह स्थल के आसपास अवैध रूप से लकड़ी जमा कर कारोबार कर रहे हैं। धीरे-धीरे यह अतिक्रमण इतना बढ़ गया है कि अब शवदाह स्थल तक लकड़ियों की गाठें लगा दी गई हैं। इसके कारण अंतिम संस्कार के समय शोक संतप्त परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि जब इस अव्यवस्था का विरोध किया गया तो संबंधित कारोबारी दबंगई और मनबढ़ रवैया अपनाते हुए उल्टा धमकाने पर उतर आए। विरोध के बावजूद न तो कब्जा हटाया गया और न ही किसी प्रकार की व्यवस्था में सुधार हुआ, जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
नगरवासियों का कहना है कि यदि प्रशासन ने शीघ्र संज्ञान नहीं लिया तो आने वाले समय में स्थिति और भयावह हो सकती है। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि लाश जलाने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं बचेगी, जो न केवल मानवीय गरिमा के विरुद्ध है बल्कि धार्मिक परंपराओं और सामाजिक मर्यादाओं का भी खुला उल्लंघन है।
रामघाट न सिर्फ नगर का प्रमुख अंत्येष्टि स्थल है, बल्कि इससे शहर की आस्था और भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं। इसके बावजूद प्रशासनिक उदासीनता के चलते यहां अव्यवस्था और अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। लोगों का आरोप है कि कई बार शिकायत किए जाने के बावजूद संबंधित विभागों ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी और नगर प्रशासन से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से शवदाह स्थल को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए, लकड़ी कारोबारियों के लिए अलग निर्धारित स्थान तय किया जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो, ताकि रामघाट की पवित्रता और व्यवस्था बनी रह सके।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर जनहित के मुद्दे पर कब तक आंखें खोलता है, या फिर हालात ऐसे ही बने रहेंगे और आम नागरिकों को अपनी अंतिम यात्रा में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।


Prasasan kya kar hai
जवाब देंहटाएं