ठण्ड बढ़ी, मगर इंतजाम नहीं
https://www.shirazehind.com/2025/12/blog-post_95.html
नगर पालिका व पंचायतों की लापरवाही से जनता बेहाल
नागरिकों में नाराजगी, कागजों में ही मिल रही गर्मी
बढ़ती ठण्ड से बुजुर्ग, मजदूर एवं राहगीर सबसे ज्यादा प्रभावित
नागरिकों में नाराजगी, कागजों में ही मिल रही गर्मी
बढ़ती ठण्ड से बुजुर्ग, मजदूर एवं राहगीर सबसे ज्यादा प्रभावित
जौनपुर। जिले में ठंड ने दस्तक दे दी है और रात के तापमान में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। सुबह की धुंध और रात की तेज़ सिहरन ने आम जनजीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है लेकिन इस बढ़ती ठंड के बीच नगर पालिका परिषद जौनपुर एवं विभिन्न पंचायतों की तैयारी बेहद कमजोर साबित हो रही है। हर साल की तरह इस बार भी अलाव और अस्थायी राहत केंद्रों की व्यवस्था समय रहते न हो पाने से जनता में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।
स्टेशनों पर यात्रियों के लिए कोई राहत नहीं, बल्कि जौनपुर रोडवेज बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और शहर के कई प्रमुख चौराहों पर रात में यात्रियों की अच्छी-खासी भीड़ रहती है। पिछले वर्षों में नगर पालिका द्वारा ऐसे स्थानों पर अलाव जलाने व यात्रियों के रुकने-बैठने की अस्थायी व्यवस्था की जाती थी लेकिन इस बार अभी तक कोई भी कदम उठाए जाते नहीं दिख रहे हैं। रात में ट्रेन या बस से उतरने वाले यात्रियों को कड़ाके की ठंड में खुले में खड़े होने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई यात्री गर्मी पाने के लिए चाय की दुकानों या किसी दीवार की ओट का सहारा लेते दिखाई देते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पालिका परिषद हर साल शुरुआत में दावे तो बड़े-बड़े करती है, मगर कार्यवाही जमीन पर नहीं दिखती। मोहल्लों में जहाँ जरूरत है, वहाँ अलाव की लकड़ी तक नहीं पहुंचाई गई है। ग्रामीण पंचायतों का भी लगभग यही हाल है— न राहत केंद्र खुले हैं और न ही गरीबों और राहगीरों के लिए किसी सहायता की व्यवस्था। कई नागरिकों ने बताया कि प्रशासन को पहले से पता होता है कि दिसंबर की शुरुआत में ही ठंड बढ़ जाती है, इसके बावजूद समय पर कोई तैयारी नहीं की जाती।
लोगों ने तंज कसते हुए कहा “लगता है विभाग के दफ्तरों में ही अलाव जलाए जा रहे हैं, बाहर जनता ठिठुर रही है। ठंड का सर्वाधिक असर फुटपाथ पर रहने वालों, मजदूरों, रिक्शा चालकों और रात में सफर करने वाले यात्रियों पर पड़ रहा है। इनके पास न गर्म कपड़ों की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही रात में किसी सुरक्षित जगह रुकने का विकल्प। यदि समय रहते अलाव की व्यवस्था नहीं की गई तो हालात और गंभीर हो सकते हैं। खासकर दिसंबर के मध्यम और अंतिम सप्ताह में जब तापमान और नीचे चला जाता है।
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स्टेशनों पर यात्रियों के लिए कोई राहत नहीं, बल्कि जौनपुर रोडवेज बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और शहर के कई प्रमुख चौराहों पर रात में यात्रियों की अच्छी-खासी भीड़ रहती है। पिछले वर्षों में नगर पालिका द्वारा ऐसे स्थानों पर अलाव जलाने व यात्रियों के रुकने-बैठने की अस्थायी व्यवस्था की जाती थी लेकिन इस बार अभी तक कोई भी कदम उठाए जाते नहीं दिख रहे हैं। रात में ट्रेन या बस से उतरने वाले यात्रियों को कड़ाके की ठंड में खुले में खड़े होने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई यात्री गर्मी पाने के लिए चाय की दुकानों या किसी दीवार की ओट का सहारा लेते दिखाई देते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पालिका परिषद हर साल शुरुआत में दावे तो बड़े-बड़े करती है, मगर कार्यवाही जमीन पर नहीं दिखती। मोहल्लों में जहाँ जरूरत है, वहाँ अलाव की लकड़ी तक नहीं पहुंचाई गई है। ग्रामीण पंचायतों का भी लगभग यही हाल है— न राहत केंद्र खुले हैं और न ही गरीबों और राहगीरों के लिए किसी सहायता की व्यवस्था। कई नागरिकों ने बताया कि प्रशासन को पहले से पता होता है कि दिसंबर की शुरुआत में ही ठंड बढ़ जाती है, इसके बावजूद समय पर कोई तैयारी नहीं की जाती।
लोगों ने तंज कसते हुए कहा “लगता है विभाग के दफ्तरों में ही अलाव जलाए जा रहे हैं, बाहर जनता ठिठुर रही है। ठंड का सर्वाधिक असर फुटपाथ पर रहने वालों, मजदूरों, रिक्शा चालकों और रात में सफर करने वाले यात्रियों पर पड़ रहा है। इनके पास न गर्म कपड़ों की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही रात में किसी सुरक्षित जगह रुकने का विकल्प। यदि समय रहते अलाव की व्यवस्था नहीं की गई तो हालात और गंभीर हो सकते हैं। खासकर दिसंबर के मध्यम और अंतिम सप्ताह में जब तापमान और नीचे चला जाता है।
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