कमबख्त ! वक़्त-बेवक्त निकल आती हैं ।
https://www.shirazehind.com/2013/10/blog-post_5624.html
मेरे दिल की सिसकियों पर ध्यान ना देना , कमबख्त ! वक़्त-बेवक्त निकल आती हैं । तुम खुश रहना अपनी चाहतों के संग संग , मेरी आहों का क्या ...
मेरे दिल की सिसकियों पर ध्यान ना देना , कमबख्त ! वक़्त-बेवक्त निकल आती हैं । तुम खुश रहना अपनी चाहतों के संग संग , मेरी आहों का क्या ...
दुवायें साथ होती हैं , तन्हाँ कोई नहीं होता , फिजाएँ साथ देती हैं , साथी कोई नहीं होता । डॉ अ कीर्तिवर्धन
मेरी रजा न समझो , मजबूरियाँ हैं , कातिल को मसीहा बताने की , उसके हाथ में खंजर ,नोक पे मेरा कलेजा ,फ़िक्र बच्चों को बचाने की । डॉ अ कीर्...
नजरिया है मेरा , दर्द सहकर भी खुश रहता हूँ , वह जिस हाल में रखे , शुक्रिया अदा करता हूँ । बड़ा अहसान मालिक का ,दर्द सहने की ताकत दी , ...
डॉ अ कीर्तिवर्धन अपने तजुर्बात पे परखकर सच को कहना , सियासतदानों की बात पे इंतकाम मत लेना । कमीने-कमजर्फ , लाशों की सियासत करते है...