देवी को ताला चाबी' , चढ़ाने वाले को 'फांसी ,कारावास ,मुकदमों से मिलती है मुक्ति


वाराणसी । पाताल की देवी बंदी माता का मंदिर जिसकी मान्यता है कि जिनको कारावास, फांसी की सजा ,बेल न मिल रही हो , कोर्ट कचहरी के झमेले से परेशान हो वो दशाश्मेध घाट पर अनादिकाल से विराजमान पाताल की देवी बंदी माता को ताला चाबी चढ़ाये और संकट से मुक्ति पाये । काशी खंड में उल्लेख कि  भगवान राम, लक्ष्मण को अहिरावण  ने जब अपने नागफास  में फासकर पाताल लोक में कैद कर लिया था । उस समय पाताल के देवी बंदी माँ ने इसी जगह से अहिरावण के तिलिस्मी कारागार से राम ,लक्ष्मण को  मुक्त कराया था । तभी से माँ को बंदी देवी भी कहा जाने लगा । 

पुजारी अंजनी शुक्ला बताते है कि तभी से मान्यता चली आ रही है कि कोई भी व्यक्ति जिसे सजा हो गयी हो । जेल में सजा काट रहा हो ,कोर्ट कचहरी के चक्कर में परेशान हो ,मुकदमे में बेल न मिल रही हो वो खुद या तो परिजनों के जरिये बंदी माता को केवल ताला चाबी चढ़ा दे तो मनोकामना पूर्ण हो जायेगी । इस मंदिर की खासियत है की यहा 41  दिन तक नित्य दर्शन  करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है । 

माता का मंदिर आज भी कई फीट गहरे पाताल में ही स्थित है । भक्त गिरधर मिश्र का कहना है उनके परिवार में बारह सालों से कोर्ट कचहरी में मुकदमे चल रहे थे । बंदी माता को ताला चाबी चढ़ाया था । तीन महीने के अंदर परिवार में सुलह हो गया सारे मुकदमे ख़त्म हो गये । मनीष यादव बताते है कि उनका छोटा भाई हत्या के मुकदमे में फंसा था ,माता की कृपा थी कि सब कुछ जांच के बाद गलत पाया गया और मेरा भाई निर्दोष साबित हुआ ।

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