तडप तडपकर मासूम बच्चे ने तोडा दम , डाक्टर पर लापरवाही आरोप अस्पताल में हंगामा


रिपोर्टर :- पितेश्वर कुमार

आजमगढ़ जिला अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में भर्ती एक 10 वर्षीय बच्चे ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। लेकिन बच्चे को कोई चिकित्सक व अस्पताल कर्मी देखने तक नही पहुंचे दवा देने की बात ही दूर रही। बच्चे को नाक से खून आने की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों की लापरवाही से आक्रोशित लोगों के हंगामा करने पर मौके पर पहुंचे अस्पताल प्रशासन व जिला प्रशासन के अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही है। सरकार चाहे समाजवादी एम्बुलेस सेवा मुहैया करा दे या अस्पतालों में संसाधन लेकिन जब अस्पतालों में चिकित्सक ही मौजूद नही रहेगें तो आज एक मनीष की मौत हुई है कल दूसरे मनीष की मौत होती रहेगी।



मेंहनगर थाना क्षेत्र के बासूपुर गांव निवासी रामर्दशन यादव ने अपने 10 वर्षीय बेटे मनीष को कल रात आजमगढ़ जिला अस्पताल में नाक से खून आने की शिकायत पर भर्ती कराया था। अस्पताल की इमरजेन्सी में एक इंजेक्शन के बाद वार्ड में मनीष को कोई चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी देखने नही गया। मनीष का पिता बार बार चिकित्सक की बुलाने की मांग करता रहा और किसी डाक्टर के न आने की दशा में मनीष की हालत रात 3 बजे अचानक और बिगड़ गयी और 4 बजे भोर में उसकी मौत हो गयी। मौत के बाद परिजनों के आक्रोश को देखते हुए अस्पताल कर्मियों ने मनीष के शव में 6-7 इंजेक्शन अपने बचाव में लगा कर अपना काम पूरा कर लिया। आर्थिक रूप से कमजोर बेबश मृतक के पिता राम दर्शन यादव के आखों के यह आंसू बता रहे है कि अस्पताल में होते हुए भी उसके सीने में चिकित्सकों को न दिखा पाने और बच्चे को न बचा पाने का मलाल दिखाई दे रहा है। अब वह कार्यवाही चाहता है। अस्पताल में हुई बच्चे की मौत की खबर प्रशासन के अधिकारियों के कानो में जब पड़ी तो प्रभारी मजिस्ट्रेट योगानंद पाण्डेय ने जा कर मामले की जांच की तथा शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि दोषी जो भी होगा कार्यवाही की जायेगी।


जिला अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी जो खुद इस व्यवस्था के दोषी है वह भी जांच कर कार्यवाही की बात कर रहे है। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.के.डी. द्विवेदी का कहना है कि जाँच के बाद कार्यवाही की जाएगी सत्ताधारी दल के जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने कहा कि चिकित्सकों की लापरवाही सामने है उन्होंने जिलाधिकारी से कार्यवाही किये जाने का आग्रह किया है। जिला अस्पताल में यह कोई पहला मामला नहीं इससे पहले भी अस्पताल प्रसाशन पर लापरवाही के आरोप लग चुके है और कार्यवाही की बात तो की जाती है लकिन बाद में मामला ठन्डे बसते में चला जाता है

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