ऐतिहासिक इमारतो का माडल बनाने की सनक है मो0 अफसर को



इन्सान जिदंगी में अगर कुछ कर गूजरने की तमन्ना ठान ले तो मंजिले उसकी कदम चूमने को मजबूर हो जाती कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जौनपुर का एक युवा अधिवक्ता ने जिसने ना सिर्फ अपनी खूबसूरत नक्काशी से जौनपुर में मौजूद दर्जनों एतिहासिक इमारतों को लकड़ी पर एैसा तराशा की देखने वाले दांतो तले उगली दबाने को मजबूर हो जाते है। अपनी वकालत के साथ-साथ कुछ समय निकाल कर लकडि़यों से ऐतिहासिक इमारतो का मांडल हूबहू तैयार करने की उनकी इस कला का कायल सिर्फ जौनपुर की जनता ही नही बल्की यहाँ आने वाले से लेकर राजनेता भी उसकी कला के मूरीद हो जाते है
शहर के शाही किले के पास रहने वाले मोहम्मद अफसर अली की बचपन से यह तमन्ना थी की वह कुछ ऐसा काम करे की जिससे उसका नाम न सिर्फ जिले में बल्की पूरे देश में लिया जाये। इसी तमन्ना के लिये उन्होंने लकड़ी पर नकाशी कर एतिहासिक कर धरोहरों को उतारने का प्रयास किया जिसमें वे सफल रहे। पेशे से अधिवक्ता मोहम्मद अफसर ने यहाँ मौजूद शाही किला, अटाला मस्जिद, बड़ी जामा मस्जिद, शाही पुल, सहित दर्जनों एतिहासिक इमारतों को अपनी कला के जरियो लकड़ी पर ऐसा उतारा की मानों वह धरोहर हूबहू उठाकर यहा रख दी गयी हो, यही नही उन्होंने लाल किले को लकड़ीयों पर उतार कर हूबहू रख दिया अब इन्होने चार अंगुल मस्जिद को लकडि़यों पर उकेरा हैं।


 खास बात ये है की मोहम्मद अफसर जिस इमारत को एक बार देख लेते है, उसे बगैर देखे ही हूबहू लकड़ी पर अपनी नकाशी से उतार देते है। इसकी इस कला के कायल जौनपुर वासी ही नही बल्की यहां पर आने वाले तमाम अफसर भी इसके जादूई हाथ की कला को खूब सराहा है। 2001 इसको तत्कालिन डीएम राजन शुक्ला इन्हे सम्मानित किया तो वही फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने सम्मान देकर इनकी हौसला अफजाई किया तो 2006 में पूर्वाचंल विश्व विद्यालय के कुलपति ने इनको सम्मान दिया। मो. अफसर के हाथो का जादूई रथ अब दुनिया का सबसे अजूबा इमरतों में शामिल ताज महल का मांडल बनाने जा रहा है। अपने जिले के इस होनहार कलाकार के हजारों कद्रदान मौजूद है, पर उन्हे अफसोस इस बात का है की उन्हे वह सम्मान अब तक नही मिला जिसके वे हकदार है। मोहम्मदअफसर अली भले ही अपने शौक के लिये इन इमरतों का मांडल तैयार कर रहा है। पर इस शौक से देश के उन नवजवानों को प्रेरणा लेनी चाहिये किस तरह अपनी एतिहासिक धरोहरों की पहचान बचा कर रखा जाये, जिससे की अपने देश संस्कृति को किस तरह सजोया और सवारा जा सकें।

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