हिन्दी भाषा के उन्नयन का हरसंभव प्रयास होना चाहियेः जिला जज

VBSPU में गोष्ठी को सम्बोधित करते दिग्विजय
 जौनपुर। हिन्दी दिवस पर जगह-जगह गोष्ठियों का आयोजन हुआ जहां वक्ताओं ने इसकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुये अपना विचार व्यक्त किया। साथ ही हिन्दी को अपनाने पर बल दिया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा हिन्दी दिवस एवं निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के अधिकार पर आयोजित संगोष्ठी में जिला जज राकेश कुमार ने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। इसके उन्नयन एवं प्रचार-प्रसार का हरसंभव प्रयास हमें करना चाहिये तथा व्यवहार में अधिकाधिक हिन्दी अपनाना चाहिये। जूरी जज डा. दिलीप सिंह, एडीजे दामोदर सिंह, नसीर अहमद, सीजेएम एसपी शर्मा सहित अन्य न्यायिक अधिकारियों ने कहा कि हिन्दी में बोलना व लिखना हमारी विवशता है, क्योंकि हर प्रयास करने एवं जिन्दगी भर पढ़ने के बाद भी 99 प्रतिशत भारतीय अंग्रेजी पढ़, लिख, बोल नहीं पाते। रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया सहित हर उन्नत देश की खुद की राष्ट्रभाषा, संस्कृति व सभ्यता है। इस दौरान श्रमिकों के अधिकारों पर हिन्दी दिवस पर बोलते हुये वक्ताओं ने श्रमिकों हेतु अधिक अधिकार देने पर बल दिया तथा उन्हें तमाम विधिक जानकारियां देने एवं संगठित या असंगठित रूप से सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण करने पर बल दिया। इस अवसर पर तमाम न्यायिक अधिकारियों के अलावा अधिवक्ता, प्राधिकरण के रामजी मौर्य, राजेश यादव आदि उपस्थित रहे।


    इसी क्रम में डा. आरडी सिंह के आवास पर आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये डा. हरिहर सिंह ने कहा कि हिन्दी की दुर्दशा एवं उपेक्षा हेतु शासन-प्रशासन के अलावा हिन्दी भाषी लोग हिन्दी के शिक्षक, प्राध्यापक एवं हमारी दासता की मानसिकता भी मुख्य कारक है। मुख्य अतिथि जूरी जज डा. दिलीप सिंह ने कहा कि हिन्दी भाषा साहित्य का 7वीं सदी से आज तक अनवरत इतिहास है जो लगातार प्रवहमान होकर पुष्पित व पल्लिवत होकर वट वृक्ष बनकर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा होकर अपनी सुरभि दिग-दिगंत तक बिखेर रहा है। प्राचार्य डा. आरडी सिंह, डा. अजेय सिंह, डा. अरूण यादव, डा. विमला, पद्मा सिंह, डा. ज्योत्सना सिंह ने कहा कि हमारा देश बड़ा दुर्भाग्यशाली है कि अपनी कोई भाषा, संस्कृति, सभ्यता नहीं है। पश्चिमी क्रीतदासों व काले अंग्रेजों द्वारा जबर्दस्ती थोपी गयी हिन्दी सर्वत्र राज कर रही है जो सभी देशी भाषाओं को निगलती जा रही है। इस अवसर पर डा. शैलेन्द्र सिंह, अलका सिंह, दीप नारायण, शिप्रा सिंह, एकता शर्मा, दिव्येन्दु, राजकुमार, सुरेन्द्र प्रजापति आदि उपस्थित रहे।
    पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में हिंदी दिवस पर हिंदी के विकास में पत्रकारिता के य¨गदान विषयक ग¨ष्ठी का आय¨जन हुआ जहां प्राध्यापक डा. अवध बिहारी सिंह ने कहा कि हिंदी क¨ आम आदमी के बीच लम्बे समय तक ल¨कप्रिय बनाये रखने में पत्रकारिता का अभिé य¨गदान है। हिन्दी के समाचार पत्र-पत्रिकाओं की बढ़ती प्रसार संख्या इसका प्रमाण है। आज दूसरी भाषा की खबरे हिंदी में मिल रही हैं ज¨ पत्रकारिता करने वाल¨ं की ही देन है। इसी क्रम में प्राध्यापक डा. मन¨ज मिश्र ने कहा कि स¨शल मीडिया फेसबुक और ब्लाग ने आज हिंदी की ल¨कप्रियता क¨ नया मुकाम दिया हैं। हिंदी की प्रगति यात्रा में आज ज¨ बाधाएं आ रही हैं, वह नीति बनाने वालों द्वारा जनित है। हिंदी भाषी क्षेत्र¨ं के सरकारी कार्यालय¨ं एवं बैंक¨ं में यह लिखा रहता है कि हम हिंदी में भी कार्य करते है।यह बड़ा हास्यास्पद लगता है। प्राध्यापक डा. दिग्विजय सिंह राठ©र ने कहा कि इण्टरनेट पत्रकारिता ने हिंदी क¨ वैश्विक स्तर पर मजबूती से रखा है। आज विश्व में कहीं बैठकर अपनी भाषा में खबरें पढ़ी जा सकती है। भारत के अलावा कई देश¨ं में वेब के माध्यम से ही हिंदी में खबरें अपन¨ं के बीच में पहुंच रही हैं। हिंदी की मिठास दिनोंदिन बढ़ ही रही है। प्राध्यापक डा. सुनील कुमार ने कहा कि आज हिंदी का विकास दिल से नहीं हुआ है। हिंदी की बात करने वाले ही विदेशी भाषा की ओर जा रहे हैं। पत्रकारिता के माध्यम से हिंदी जितनी ल¨कप्रिय हुई है, उतना किसी अन्य माध्यम द्वारा नहीं हुई है। ग¨ष्ठी में छात्र रजनीश मिश्र, आशीष सिंह, अबू तलहा सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे। संचालन विभाग के छात्र वैभव यादव ने किया।

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