हल्की सी हवा के सहारे पानी उगलती थी पवन चक्की
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ये है पवन चक्की ७० की दशक से लेकर ९० की दशक तक इसी के माध्यम से किसान खेतो की सिचाई करते थे। इस मशीन को चलाने के लिए ना ही बिजली की जरूरत पड़ती थी ना ही डीजल और पेट्रोल की यह हल्की सी हवा के सहारे भरपूर पानी कुए से निकाल था लेकिन लगातार जल दोहन और जंगलो की कटान के कारण वाटर लेवल पाताल में चला गया है जिसके कारण बगैर खर्च वाला इस मशीन का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। क्या ? आज के युग में ऐसी टेक्नोलाजी की जरूरत नही है।
