तरक्की के दौर में, सब बेपर्दा हो गए


 डॉ अ कीर्तिवर्धन
जाहिल थे इल्म से, मगर हया वाले थे, 
तालीमयाफ्ता होकर, बेहया हो गए ।
 झुकती थी पलकें अदब से, बड़ों के सामने, 
तरक्की के दौर में, सब बेपर्दा हो गए । 

Related

कविताकोश 2751892413326014262

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item